राजनीतिक उठापटक के बीच गरमाएगा सदन, भराड़ीसैंण में सत्र का आगाज़..


गैरसैंण (भराड़ीसैंण) : उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण एक बार फिर राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गई है। आज से यहां चार दिवसीय विधानसभा सत्र का आगाज हो रहा है। सरकार और विपक्ष दोनों ही इस सत्र को लेकर पूरी तैयारी के साथ भराड़ीसैंण पहुंचे हैं। आगामी चार दिनों तक सदन में राज्य की आपदा प्रबंधन व्यवस्था, पंचायत चुनाव में कथित गड़बड़ी और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर तीखी बहस और तीव्र टकराव देखने को मिल सकते हैं।
भराड़ीसैंण, जो आमतौर पर शांत और सुरम्य रहता है, इन दिनों राजनीतिक गतिविधियों से गुलजार हो उठा है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी सत्र शुरू होने से दो दिन पहले ही गैरसैंण पहुंच गईं और उन्होंने विधानसभा सचिवालय की तैयारियों का बारीकी से निरीक्षण किया। व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देते हुए अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए गए।
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को हेलिकॉप्टर के माध्यम से भराड़ीसैंण पहुंचे। कर्णप्रयाग के विधायक अनिल नौटियाल और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के विधायकों का गैरसैंण पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। सरकारी वाहनों की आवाजाही और अधिकारियों के जमावड़े ने इस शांत पहाड़ी कस्बे में राजनीतिक हलचल भर दी है।
इस सत्र के दौरान विपक्ष सरकार को कई अहम मुद्दों पर घेरने की रणनीति बना चुका है। विशेषकर हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हुई कथित अनियमितताओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा, भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में सुस्ती जैसे विषयों को लेकर विपक्ष आक्रामक रुख अपनाने वाला है।
सदन में सरकार से जवाब मांगने के लिए विपक्ष ने पूरी तैयारी की है। इन मुद्दों पर जमकर बहस और संभावित हंगामे की संभावना जताई जा रही है। विपक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जनता से जुड़े सवालों को लेकर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
सरकार की ओर से इस सत्र में वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकार उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन समेत कुल नौ विधेयकों को सदन में पारित कराने की योजना बना रही है।
धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन को लेकर भी राजनीतिक हलकों में चर्चा जोरों पर है। यह विधेयक सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है, जिस पर विपक्ष विरोध दर्ज कर सकता है।
विधानसभा सत्र के दौरान सदन में विधायकों द्वारा पूछे गए लगभग 550 से अधिक सवाल मंत्रियों की कार्यशैली और तैयारियों की असली परीक्षा लेंगे। सवालों की यह बौछार बताती है कि सत्र कितना गंभीर और परिणामदायक हो सकता है। सरकार को जहां हर सवाल का तार्किक और संतोषजनक उत्तर देना होगा, वहीं विपक्ष इस मौके को पूरी तरह भुनाने की कोशिश करेगा।
सत्र के चार दिन उत्तराखंड की राजनीति के लिहाज़ से बेहद अहम माने जा रहे हैं। एक ओर जहां सत्ता पक्ष विकास योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेगा, वहीं विपक्ष जनहित के मुद्दों को सदन के ज़रिए बाहर लाने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है।


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