सैकड़ों बाशिंदों ने डीएम दफ्तर को किया कूच, निगम पर नाइंसाफी का इल्ज़ाम ,सौंपा ज्ञापन
हल्द्वानी : रेलवे की जमीनों पर कब्जा किस सूरत में है वैध है या अवैध यह तो मामला कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन रेलवे बोर्ड और जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर चल रही कवायद में मास्टर प्लान भी लगभग तैयार है अब ऐसे में लगातार कई जगहों पर मीटिंग हो रही है अब इसमें कई सामाजिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी अपनी ओर से जिला प्रशासन और राज्य सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह यह ,जैसा कि उनको लग रहा है नाइंसाफी है और यह रुकनी चाहिए।
आज इस रेलवे अतिक्रमण मामले को लेकर बनफूल पुरा संघर्ष समिति और वहां के निवासियों ने डीएम कैंप पहुंच कर सिटी मजिस्ट्रेट रिचा सिंह को ज्ञापन सौंपा और निवेदन किया कि रेलवे द्वारा करीब 4500 मकानों को अतिक्रमण के दायरे में बताया जा रहा है ये गलत है। महोदय रेलवे ने बरेली इज्जतनगर में किसी भी पक्ष की सही से सुनवायी नहीं की है सबको एक जैसा आदेश बनाकर बेदखली का नोटिस दे दिया है।
जबकि अभी तक नगर निगम द्वारा अपनी जमीन का सीमांकन नहीं किया गया है जबकि इस इलाके में 400 या 500 लोग को जिलाधिकारी द्वारा जमीन के पट्टे भी दिये गये जिसमें से कुछ पट्टे धारको का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। महोदय गफूर बस्ती ढोलक बस्ती एक अलग बस्ती है जिसका अतिक्रमण 2007 में भी किया गया था। लेकिन गफूर बस्ती और ढोलक बस्ती की आड़ में रेलवे 100 सालों से ऊपर बसी बस्ती को भी ग़फ़ूर बस्ती का नाम दे दिया है। जबकि चोरगलिया रोड से नीचे वाली बस्ती जिसको आजाद नगर नई बस्ती इन्द्रानगर के नाम से जाना जाता है। महोदय पहले नगर निगम अपनी जमीन तो बताये कि उसकी कितनी जमीन है उसके बाद जो जमीन बचती है उसका अतिक्रमण हटाने से पहले दूसरी जगह बसाने का इन्तजाम किया जाय।
महोदय 4500 मकानों के बीच दो इण्टर कालेज 8 दुर्गा मंदिर और गोपाल मंदिर और दर्जना मस्जिद भी इस इलाके में है महोदय आपसे अनुरोध है कि पहले नगर निगम का सीमांकन करवाया जाये इसके बाद बची भूमि को अतिक्रमण हटाने से पहले उनका पुनर्वास करवाया जाये। हजारों परिवारों को इस तरह बेदखल कर देना यह कहा का इन्साफ़ है।
महोदय कोर्ट से लेकर सरकार तक हमारे लोगों की पैरवी करने का कष्ट करें। आपको अति कृपा होगी। वरना हजारों परिवार के बेघर हो जायेंगे कहा जायेगे इससे हजारों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो जाएगी न जाने कितने लोगों का भविष्य अन्धकार की और चला जाएगा। अगर रेलवे की जमीन होती तो उस पर जिलाधिकारी (रुद्रपुर) द्वारा पट्टे कैसे दे दिये जाते रेलवे विभाग कहीं न कहीं कुछ छुपा रहा है। महोदय 2007 जैसी स्थिति पैदा न हो जायें। लोग बहुत परेशान है आप इस मामले में गरीबों की मदद करने की कृपा करे।
क्योंकि 4500 मकान के हिसाब से 1 मकान के लगभग 10 लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं। मतलब 4500X10 45000 से 50000 हजार लोग बेघर हो जाएंगे।
सरकार और प्रशासन को चाहिए की बस्ती को उजाड़ना ही है तो पहले बस्ती के लोगों को पुनर्वास भी करने के लिए सरकार और प्रशासन को सोचना होगा।
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