उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर के कांडा तहसील स्थित ढोल्यूड़ा, सेरी गाँव व अन्य गांवों में अनियमित खनन से भवनों में पड़ रही दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर वन सचिव उत्तराखंड व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पक्षकार बनाते हुए, मामले में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली को न्यायमित्र नियुक्त किया है।
मीडिया के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीणों के भवनों में पड़ी दरारों और खनन के दुष्प्रभावों की बात में विस्थापन को न तो डी.एम.और न ही सी.एम.सुन रहे हैं । न्यूज़ में कहा गया था कि अनियमित और अवैध खड़िया खनन से ग्रामीणों की खेती ठप हो गई है और उनके घरों में दरारें आ गई है साथ ही वहां पानी के स्रोत भी सूख गए हैं। इसके कारण ग्रामीण प्राकृतिक आपदा के डर के साए में जीने को मजबूर हैं। ये भी कहा गया कि जिन सामर्थ्यवान लोगों के पास साधन थे वे सुरक्षित जगहों में बस गए, लेकिन गरीब गाँव में ही रह गए।
अखबार की खबर पर कार्यवाह मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया। मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होनी तय हुई है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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