हाइकोर्ट ने हल्द्वानी रेलवे ज़मीन मामले में काबिज़ लोगों के इस प्रार्थनापत्र को किया निरस्त..

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय में न्यायमुर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमुर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने हल्द्वानी के वनभुलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर संशोधन प्राथर्नापत्र को निरस्त कर दिया है।

न्यायालय ने कहा कि वर्ष 2019 में न्यायालय ने आदेश दिया था कि वे पब्लिक प्रेमिसिस एक्ट(पी.पी.एक्ट)के तहत भी नही आते हैं, जो इसमें आते हैं, रेलवे उन्हें नोटिस जारी कर सुनें। उसके बाद उन्होंने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। आज उसी आदेश में संशोधन के लिए अतिक्रमणकारियों की तरफ से प्रार्थनापत्र दिया गया जिसे निरस्त कर दिया है। खण्डपीठ ने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका में पूरे दिन सुनवाई करते हुए कल भी जारी रखी है।


मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को उच्च न्यायालय ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है उनको रेलवे पी.पी.एक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुवाईयाँ करें। रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिनमे लगभग 4365 लोग मौजूद है। न्यायालय के आदेश पर इन लोगो को पी.पी.एक्ट में नोटिस दिया गया । जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नही पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा के लिए पत्र दिया। जिसपर आज तक कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया गया। जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं, ताकि रेलवे का विस्तार हो सके।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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