हाईकोर्ट ने सचिवालय में अनुसूचित जाति जनजाति समिति के मामले में सरकार से मांगा जवाब, जानिए न्यायालय ने क्यों तलब की जस्टिस इरशाद हुसैन कमिटी की रिपोर्ट..

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सचिवालय अनुसूचित जाती जनजाति समिति की याचिका पर सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। न्यायालय ने जस्टिस इरशाद हुसैन कमिटी की रिपोर्ट भी तलब की है।


दरअसल उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति/जनजाति कार्मिक बहु उद्देश्यीय मानव संसाधन कल्याण समिति की तरफ से देहरादून निवासी 55 वर्षीय अध्यक्ष वीरेंद्र पाल सिंह ने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव के खिलाफ उच्च न्यायालय में सिविल वाद दायर किया। उन्होंने न्यायालय को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने जरनैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता के मामले में 18 जनवरी 2022 को आदेश दिए थे। इसमें प्रमोशन में आरक्षण का कार्डर अनुसार रोस्टर बनाए जाने को कहा गया था। याची के अधिवक्ता हरिमोहन भाटिया ने कहा कि वो आरक्षण नहीं बल्कि इस याचिका के माध्यम से आरक्षण के रोस्टर को बनाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने न्यायालय से कहा कि समिति की तरफ से इस तरह की पहली याचिका दायर की गई है।


आज उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही खंडपीठ ने जस्टिस इरशाद हुसैन कमिटी की वर्ष 2012 की जाँच रिपोर्ट 2016 में फ़ाइल होने के बाद कि रिपोर्ट भी तलब की है।

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