उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इंडिपेंडेंट मैडिकल इनीशिएटिव संस्था की वर्ष 2019 की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रामनगर से मोहान मार्ग पर स्थित, मलानी-कोटा, चिल्किया-कोटा, दक्षिण पातलीदून-चिल्किया हाथी कॉरिडोर पर क्षमता से अधिक व्यवसायिक निर्माण और रात में अत्यधिक ट्रैफिक के संबंध में भारत सरकार के प्रोजेक्ट एलिफेंट की सर्वे रिपोर्ट, इस सड़क के सेटेलाइट मानचित्र और सुप्रीम कोर्ट के 2020 के देशभर के एलीफेंट कॉरिडोर संरक्षण के लिए दिए गए दिशा निर्देशों के तहत व्यापक आदेश पारित किए हैं।
न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया है कि बीते दशकों में इस क्षेत्र में हुए अंधाधुंध अवैज्ञानिक व्यवसायिक निर्माण से हाथियों को नदी तक पहुंचने का अपना रास्ता बार-बार बदलना पड़ा है । इससे उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आया है। सारे तथ्यों और रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने ये आदेश जारी किए हैं।
1)उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया गया है कि वह रामनगर मोहान रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगते हुए हाथी कॉरिडोर वाले इलाके को इको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करे।
2)न्यायालय ने भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि रामनगर-मोहान रोड पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर के इलाकों में अब नए होटल, रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट जैसे निर्माणों की किसी भी रूप में अधिकारी अनुमति ना दें।
3)न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया है कि हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जो कि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस इलाके में सीमांकन किए गए हैं उनका तुरंत संरक्षण शुरू करें।
4)मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड, डी.एफ.ओ. रामनगर, डी.एफ.ओ.अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क को आदेशित किया है कि एलीफेंट कॉरिडोर वाली इस रोड पर रात्रि में 10:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की व्यवस्था की जाए ताकि हाथी आसानी से रात्रि में कोसी नदी तक पहुंच सके और अवांछित रात्रि ट्रैफिक पर लगाम लग सके।
5)खंडपीठ ने भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेशित किया है कि इस इलाके में हाथियों के पास, अंडरपास की व्यवस्था किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण ना किया जाए जब तक कि पर्याप्त अबाध सेफ पैसेज व्यवस्था न हो।
6)न्यायालय ने कहा कि पूर्व में ही उनके द्वारा हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च के पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी जो कि जारी रहेगी और पुनः आदेश किया है की हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय तरीकों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए।
7)राज्य के वन सचिव को भी न्यायालय ने आदेश दिया है कि अगर जरूरत पड़े तो एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों के अबाध्य आवागमन में बाधा बनने वाले निर्माण का अधिग्रहण कर सरकार मुआवजा देकर उस भूखंड को अपने नियंत्रण में ले ले।
8)न्यायालय ने सख्त निर्देश दिए हैं कि जिन अधिकारियों को इन आदेशों के पालन के लिए जिम्मेदार बनाया गया है वह सभी आदेशों का पूर्ण अनुपालन कर 8 दिसंबर 2022 तक अनुपालन बिंदुवार दाखिल करें।
मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। इस प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्वे की खंडपीठ में हुई।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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