सिस्टम की सुस्ती पर भारी ग्रामीणों की मेहनत, जहां सरकारी मशीन नहीं पहुंचती वहां ऐसे बनता है रास्ता_Video


उत्तराखण्ड में नैनीताल का एक ऐसा गांव जहां न तो सरकार कोई भी विकास करती है और न ही वहां को जाने वाली ‘पखडण्डी’ से बरसातों में आया मलुवा ही हटाती है। यहाँ के लोग श्रमदान कर अपना रास्ता खुद सुगम करते हैं।
नैनीताल के मल्लीताल में राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज से गैरिखेत गांव को जाने वाली पखडण्डी आधी सीमेंट से बनी है तो आधी पथरीली है। सामान्य सड़क के अभाव में ग्रामीणों को रोजाना इस पथरीले रास्तों से 6 किलोमीटर गुजरकर आना जाना पड़ता है। मोटर मार्ग नहीं होने के कारण नैनीताल से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव के लोगों को पैदल ही अपना मार्ग तय करना पड़ता है।
ये तब ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब, बीमार बुजुर्ग या गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लेकर जाना पड़ता है। छोटे बच्चों को प्रतिदिन स्कूल आने जाने, फल, सब्जी, दूध आदि को समय से मंडी पहुंचाने में मुश्किलें होती हैं। गांव वालों के लिए बाजार का सामान घर ले जाना भी एक बड़ी चुनौती है। ग्रामीण पतली सी उबड़ खाबड़ पखडण्डी से चलकर बमुश्किल मोटर मार्ग तक पहुंचते हैं।
पिछले दिनों की भारी बरसात के बाद पहाड़ी से पत्थर और मलुवा इस पखडण्डी पर आ गया। इससे मार्ग अवरुद्ध हो गया और ग्रामीणों ने पूर्ववत शासन प्रशासन का मुंह ताकने के बजाए श्रमदान कर सड़क को खोलना आसान समझा।
वीडियो में आप साफ देख सकते हैं कि ग्रामीण खुद इन भारी भरकम पत्थरों को बीच सड़क से हटाकर किनारे रख रहे हैं। ग्रामीणों ने रविवार और सोमवार की छुट्टी को इस सकारात्मक कार्य को करने में इस्तेमाल किया है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती


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