बिहार में फाइनल राउंड : दिग्गजों की साख दांव पर है..

बिहार विधानसभा चुनाव अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। दूसरे और अंतिम चरण के मतदान से पहले 9 नवंबर की शाम को प्रचार का शोर थम गया। अब मतदाताओं की बारी है कि वे तय करें कौन बिहार की सत्ता की कुर्सी पर विराजमान होगा।
इस चरण में 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। इन जिलों में पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास शामिल हैं।
एनडीए के दिग्गजों की साख दांव पर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई करीबी मंत्री और संगठन के वरिष्ठ चेहरे इस चरण में मैदान में हैं।
बिजेंद्र प्रसाद यादव (सुपौल)
सुमित कुमार सिंह (चकाई)
नीतीश मिश्रा (झंझारपुर)
जयंत राज (अमरपुर)
नीरज कुमार बबलू (छातापुर)
लेशी सिंह (धमदाहा)
कृष्णनंदन पासवान (हरसिद्धि)
जमा खान (चैनपुर)
शीला मंडल (फुलपरास)
प्रेम कुमार (गया टाउन)
इन्हीं के साथ, एनडीए के दो पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी भी अपने राजनीतिक भविष्य की अग्निपरीक्षा में हैं।
नीतीश कुमार के लिए यह चरण राजनीतिक दृष्टि से अहम है न केवल सत्ता बनाए रखने की चुनौती, बल्कि अपनी लोकप्रियता की कसौटी भी इसी चरण में परखी जाएगी।
महागठबंधन की रणनीति और सियासी दांव
महागठबंधन की ओर से भी कई दिग्गज नेता मैदान में हैं जो गठबंधन के जनाधार को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं।
राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी (इमामगंज)
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम (कुटुंबा)
कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान (कदवा)
भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम (बाल्मिकीनगर)
महागठबंधन की रणनीति स्पष्ट है सामाजिक समीकरणों के साथ एंटी-इंकंबेंसी का फायदा उठाना और युवाओं को रोजगार व विकास के मुद्दे पर लामबंद करना।
आंकड़ों में चुनावी मुकाबला
कुल सीटें: 122 पर उम्मीदवार: 1302 जिसमें पुरुष: 1165 ,, महिला: 136,,ट्रांसजेंडर: 1
कुल मतदाता : 3,70,13,556
मतदान केंद्र : 45,399 (ग्रामीण 40,073 | शहरी 5,326)
क्षेत्रफल के लिहाज से भागलपुर सबसे छोटा (23.887 वर्ग किमी) और चैनपुर सबसे बड़ा (1814.15 वर्ग किमी) विधानसभा क्षेत्र है।
वहीं, मतदाताओं की संख्या में मखदुमपुर (गया) सबसे छोटा और हिसुआ (नवादा) सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है।
सियासी समीकरणों का गणित
इस चरण में मिथिलांचल, सीमांचल और मगध की सीटें सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानी जा रही हैं।
मिथिलांचल में एनडीए की पकड़ पारंपरिक रूप से मजबूत रही है, लेकिन युवाओं में बदलाव की चाह महागठबंधन को बढ़त दे सकती है।
सीमांचल में मुस्लिम-यादव समीकरण का असर हमेशा निर्णायक रहा है।
मगध में जातीय संतुलन के साथ-साथ विकास और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह चरण तय करेगा क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में वापसी कर पाएंगे या तेजस्वी यादव की नई पीढ़ी की राजनीति राज्य की दिशा बदल देगी।
बिहार का दूसरा चरण दरअसल “सत्ता का सेमीफाइनल नहीं, बल्कि असली फाइनल” है। यहां दांव सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि सियासी भविष्य का भी है।
11 नवंबर को जनता के हाथ में फैसला होगा क्या बिहार फिर ‘डबल इंजन’ की राह पर चलेगा या एक नया अध्याय लिखेगा।


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