उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की तैयारियां युद्वस्तर पर शुरू हो गई हैं। आगामी 10 मई को गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2024 की विधिवत शुरुआत हो जाएगी। चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर सचिवालय में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार यात्रा को सुगम एवं व्यवस्थित बनाने के लिए हरसंभव तरीके से प्रयासरत् है। पर्यटन विभाग की बेबसाइट लाइव हो गई है। इसमें हैल्थ पैरामीटर का कॉलम रखा गया है। जिसमें यात्री अपनी हैल्थ से सबंधित पूरी जानकारी भरेंगे तो उन्हें जरूरत के समय इलाज में आसानी रहेगी।
यात्रा मार्गों पर 50 स्थानों पर तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। इसके अलावा मेडिकल रिलीफ प्वाइंट पर स्वास्थ्य मित्र तैनात किए जाएंगे। 10 मई को गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा की शुरुआत हो जाएगी। चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर सचिवालय में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यात्रा के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एसओपी जारी कर दी है। राज्य सरकार यात्रा को सुगम एवं व्यवस्थित बनाने के लिए हरसंभव प्रयासरत कर रही है। पर्यटन विभाग के माध्यम से किए पंजीकरण में स्वास्थ्य पैरामीटर का कॉलम रखा गया है। जिसमें यात्री अपने स्वास्थ्य से सबंधित पूरी जानकारी भरेंगे, तो उन्हें जरूरत के समय इलाज में आसानी रहेगी।
स्वास्थ्य विभाग ने एसओपी में यात्रियों को सलाह दी कि कम से कम सात दिन के लिए चारधाम यात्रा की योजना बनाएं। केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद 5 से 10 मिनट तक विश्राम करें। यात्रा के लिए गरम कपड़े, बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, छाता, स्वास्थ्य जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ में रखें।
हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित यात्री जरूरी दवा और डॉक्टर का नंबर अपने पास रखें। यात्रा के दौरान सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, उल्टी आने पर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में प्राथमिक उपचार लें।
सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि एसओपी 11 भाषाओं में तैयार की गई है। तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए स्वास्थ्य विेभाग ने हिंदी, अंग्रेजी के साथ गुजराती, मराठी, तेलगू समेत नौ स्थानीय भाषाओं में मानक प्रचलन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर बाहरी राज्यों को भेज दी है। जिससे दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं अपनी भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधित दिशा-निदर्शों का पालन कर सकें।
तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए यात्रा मार्ग पर 50 स्क्रीनिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। इन स्क्रीनिंग प्वाइंट को रजिस्ट्रेशन प्वाइंट के साथ ही रखा गया है। इसमें तीर्थयात्रियों की उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित 28 पैरामीटर की जांच की जाएगी। इसमें हंस फांउडेशन की टीम भी मदद कर रही है।
तीर्थयात्रियों के लिए मेडिकल रिलीफ प्वाइंट महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इस बार इनकी स्थिति पहले की अपेक्षा और बेहतर की गई है। डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टॉफ के साथ ही यहां पर आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य मित्रों की तैनाती भी की जाएगी। इसके साथ ही मेडिकल रिलीफ प्वाइंट में दवाओं का स्टॉक, ऑक्सीजन सिलिंडर व अन्य सामान सहित सभी जरूरी उपकरण मौजूद रहेंगे।
प्रत्येक मेडिकल रिलीफ पोस्ट में चिकित्सकों के साथ ही लगभग आधा दर्जन प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ तैनात किया गया है। वहीं, सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सों के साथ ही एक दर्जन से अधिक प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती की गई है।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य विभाग को विशेष फोकस है। पिछले वर्ष की तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुप्तकाशी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फाटा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गौरीकुंड और माधव चिकित्सालय नारायणकोटी में हेल्थ एटीएम की स्थापना के निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलिंडर और दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था है।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि तीर्थयात्रियों के लिए टेलीमेडिसन सेवा की भी सुविधा रखी गई है। स्वास्थ्य संबधी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न होने पर यह यात्रियों के लिए वरदान साबित होगा। किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति में 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह प्राप्त की जा सकती है। जिससे बीमारी का तुंरत उपचार शुरू हो सकेगा।
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