देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ होंगे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम केंद्र सरकार को भेज दिया है. चंद्रचूड़ 9 नवंबर को चीफ जस्टिस बनेंगे. उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा. इससे पहले उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी देश के 16वें चीफ जस्टिस रह चुके हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस थे. उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक लगभग 7 साल तक रहा, जोकि अब तक का सबसे लंबा समय है. अब पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को भी वही जिम्मेदारी मिलने जा रही है.
डीवाई चंद्रचूड़ के पांच बड़े फैसले
जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2017-18 में पिता के दिए गए दो फैसलों को ही पलट दिया था. इसमें एडल्टरी लॉ और शिवकांत शुक्ला वर्सेज एडीएम जबलपुर के फैसले को पलटा था. 2018 में इस फैसले को पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा- एडल्टरी लॉ पितृसत्ता का संहिताबद्ध नियम है. सेक्सवल ऑटोनोमी को महत्व दिया जाना चाहिए.
ट्विन टावर तो आप सभी को याद होगा, जिसे 28 अगस्त को गिराया गया था. 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को तोड़ने का आदेश दिया था. इस फैसले में भी जस्टिस चंद्रचूड़ का हाथ था.
हाल ही में सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार देने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था. इसमें कहा गया था कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 22 से 24 हफ्ते तक गर्भपात का हक सभी को है. इस बेंच की अगुआई भी जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे.
केरल में अखिला अशोकन उर्फ हादिया (25) ने शफीन नाम के मुस्लिम लड़के से 2016 में शादी की थी. परिवार ने इस मामले को लव जिहाद बताया था और हाईकोर्ट ने शादी रद्द कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हादिया की शादी रद्द करने से संबंधित केरल हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया था.
जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद का फैसला करने वाली 5 जजों की बेंच का भी हिस्सा थे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक अलग सहमति वाला निर्णय दिया था.
डीवाई चंद्रचूड़ के बड़े फैसले
मिनर्वा मिल्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि संविधान में संशोधन करने की भारत की संसद की शक्ति संविधान द्वारा सीमित है. इसलिए संसद खुद को असीमित शक्ति प्रदान करने के लिए इस सीमित शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकती है.
शाह बानो मामले में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला को भरण-पोषण मुआवजे का आदेश देने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 में एक प्रावधान लागू किया था.
कौन हैं यशवंत चंद्रचूड़
11 नवंबर 1959 को जन्मे न्यायमूर्ति ‘धनंजय यशवंत चंद्रचूड़’ सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सिटिंग जज हैं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी (LLB) की है. उन्होंने ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल और कई विदेशी लॉ स्कूलों में लेक्चर्स दिए हैं. उन्हें 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था. फिलहाल वह सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था. वह सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. इससे पहले वह बॉम्बे हाईकोर्ट में भी काम कर चुके हैं. कई बड़े मामलों में वह फैसले भी सुना चुके हैं. सबरीमाला, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या से जुड़े मामलों में वह जज रह चुके हैं.
कुमाऊं विश्वविद्यालय से मिली थी मानद की उपाधि
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस नौ नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण करने जा रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का भले ही कुमाऊं से नाता ना हो, लेकिन कुमाऊं विवि नैनीताल ने 2020 में उन्हें लॉ में मानद उपाधि प्रदान की थी। तत्कालीन कुलपति प्रो एनएस राणा की पहल पर अल्मोड़ा निवासी बॉलीवुड गीतकार प्रसून जोशी, प्रसिद्ध पत्रकार रजत शर्मा को भी मानद उपाधि प्रदान की गई थी।
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