उत्तराखण्ड में आपदा की आशंका को देखते हुए आज एन.डी.आर.एफ.ने नैनीझील में अपनी इंफ्लेटेबल रैस्क्यू बोट टैस्ट करी। दो बोट में दस जवानों ने इस हाई स्पीड आधुनिक तकनीक की रैस्क्यू बोट को तल्लीताल से मल्लीताल और फिर वापस चलाकर किसी आपदा से निबटने का पूर्वाभ्यास किया।
पहाड़ों में बरसाती आफत अपने पैर पसारने की तैयारियों में है। बेतरतीब और सामान्य से अधिक बरसात की फोरकास्ट से इस वर्ष ऊत्तराखण्ड में आपदा की आशंकाओं से भी किनारा नहीं किया जा सकता। ऐसे में एन.डी.आर.एफ.ने समय रहते अपनी तैयारियों को चैक करना शुरू कर दिया है। आज एन.डी.आर.एफ.ने दो इंफ्लेटेबल रैस्क्यू स्पीड बोट चलाई जिसका वजन लगभग 83 किलो प्रति बोट है।
आउट मोटर बोट(ओ.एम.बो.)के नाम से भी पहचानी जाने वाली इस रैस्क्यू बोट में 800 से 1200 किलो तक का भार ले जाने की श्रमता होती है, यानी इसमें 10 से 12 लोगों को रैस्क्यू कर ले जाया जा सकता है। आज नैनीझील में पहले लाइब्रेरी बोट स्टैंड पर जवानों ने बोट तैयार की उसके बाद इसे मल्लीताल बोट हाउस क्लब के बोट स्टैंड से ट्रायल में लाया गया।
इस रैस्क्यू बोट के साथ डिबडेबिन सूट(गोताखोरी वाला), लाइफ जैकेट, रोप, लाइफ बॉया(ट्यूब), रिस्क बैग, ड्रैगन टॉर्च लाइट, एक्सटेंशन कॉर्ड, पम्प, ब्लोवर और चप्पू के साथ अन्य जरूरी सामग्री मौजूद रही।
इस रैस्क्यू बोट से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, डूबते लोगों या पानी में किसी घटना के वक्त तेजी से पहुंचा जा सकता है। इस तीन सिलेंडर वाली जर्मन बोट की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो पानी मे आपदा के वक्त बेहद कारगर साबित हुई है। इस रैस्क्यू बोट में दस लोगों को बैठाकर 6 से आठ घंटे तक चला जा सकता है। इसकी फ्यूल टैंक कैपेसिटी 25 लीटर है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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