उत्तराखंड : राज्य सरकार के मलिन बस्ती अध्यादेश को लेकर मज़दूरों में गहरा असंतोष देखने को मिला। देहरादून के कैनाल रोड पर आयोजित जनसभा में सौ से अधिक मज़दूरों ने इस अध्यादेश को नाकाफी करार देते हुए सरकार की सच्ची मंशा पर सवाल उठाए। मज़दूरों ने कहा कि जब सरकार यह जानती है कि उनकी नीतियों के चलते गरीबों को किसी भी नियमित कॉलोनी में घर किराए पर नहीं मिल रहे, तो उन्हें बार-बार उजाड़ने का क्या औचित्य है?
सभा में यह भी सवाल उठाया गया कि यह अध्यादेश केवल विधानसभा सत्र तक ही क्यों लागू होगा, जबकि इसे स्थायी कानून में क्यों नहीं बदला गया? मज़दूरों ने यह भी पूछा कि अगर सरकार का उद्देश्य मलिन बस्तियों को उजाड़ना नहीं है, तो उन्हें स्थायी घर या पट्टा क्यों नहीं दिया गया? इसके अलावा, सरकार के “एलिवेटेड रोड” प्रोजेक्ट, जो गरीबों के लिए विनाशकारी हो सकता है, को रद्द करने की मांग भी उठाई गई।
सभा में यह संकल्प लिया गया कि मज़दूर और उनके प्रतिनिधि इन सवालों को उठाते रहेंगे और जनता को जागरूक करेंगे, ताकि सरकार अपने वादों को पूरा करे। इस जनसभा में चेतना आंदोलन की सुनीता देवी, शंकर गोपाल, विनोद बडोनी, रमन पंडित, हीरालाल, नरेश कुमार, घनश्याम समेत अन्य संगठनों के प्रतिनिधि और बस्ती के निवासी भी उपस्थित थे।
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