शर्मनाक : हॉस्पिटल में रखा रहा शव..पुलिस बोली कागज़ लाओ फिर मिलेगी एफआईआर की कॉपी..रात में भटकता रहा परिजन..जाने पूरी खबर..
INDORE MADHYA PRADESH.. मध्य प्रदेश में पुलिस एक शर्मनाक चेहरा सामने आया है. जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जायगे. एक महिला अपने बच्चे को बचाने के लिए ट्रक की चपेट में आ गई थी.जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. बेटा घंटो तक माँ के शव के पास बैठा हुआ रोता रहा लेकिन उसकी मदद को कोई भी आगे नही आया. घबराकर उसने इंदौर में रहने वाले चाचा को फ़ोन करके माँ की मौत के बारे में सूचना दी. जिसके बाद चाचा जगदीश उसके पास पहुंचा.
जगदीश ने घटनास्थल पर पहुँचकर एम्बुलेंस और डायल 100 को घटना की जानकरी की सूचना दी. हैरानगी की बात यह कि सूचना पर न एम्बुलेंस पहुंची और न ही डायल 100 आई. जिसके बाद जगदीश ने अपनी भाभी के शव लोडिंग में रखकर ज़िला अस्पताल में पहुंचा.जिला अस्पताल में जगदीश से कहा गया कि वह रिपोर्ट लिखवा लाये, जिसके बाद जगदीश भंवरकुआं पुलिस स्टेशन पहुंचा. थाने में रिपोर्ट तो लिख दी लेकिन एफआईआर की कॉपी देने से मना कर दिया.घटना को बीते हुए बहुत वक़्त हो गया था लगभग रात के 9 बज गए थे.
जगदीश का कहना है कि ड्यूटी पर तैनात एसआई ने कहा कि कागज नहीं है. बाहर से कागज लाओ, जिसके बाद ही तुम्हे एफआईआर की कॉपी मिलेगी. देर रात होने के कारण दुकाने बंद हो चुकी थी. पीड़ित जगदीश कागज़ के लिए बहुत देर तक भटकता रहा..लेकिन पुलिस को कोई असर नही हुआ. थक हारक़र पीड़ित जगदीश लगभग डेढ़ किमी दूर टॉवर चौराहे के आगे पहुँचा. जहाँ उसने 25 रुपये में कुछ कागज़ ख़रीदे और थाने लौटा तो उसे बाद में एफआईआर की कॉपी मिली. जगदीश और भतीजे की परेशानी कम नही हुई अगले दिन भी दोनों को परेशानियों का सामना कर पड़ा. अगले दिन जगदीश को भाभी के शव के पोस्टमार्टम के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ा.थाने से डायरी 1 बजे पहुंची. तब कहीं जाकर पोस्टमार्टम हो पाया. जगदीश ने बताया कि भाभी की दुर्घटना के बाद पुलिस का जो रूप देखने को मिला है, वह बहुत अमानवीय है. रात को थाने में एफआईआर और सुबह जिला अस्पताल में पुलिस डायरी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. मैंने एसआई से कहा भी कि इतने बड़े थाने में क्या कागज ही नहीं हैं
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