राष्ट्रपति मुर्मू ने विद्यार्थियों को दिया जीवन का मंत्र, दीक्षांत के बाद हल्द्वानी से दिल्ली रवाना

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नैनीताल :
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के 20वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होकर समारोह की गरिमा बढ़ाई। इस अवसर पर उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और उपाधियाँ प्रदान कीं। समारोह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला होती है।इसका उद्देश्य केवल ज्ञान और कौशल अर्जित करना नहीं, बल्कि नैतिकता, विनम्रता और चरित्र का निर्माण भी है। उन्होंने कहा, “शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाती है, साथ ही समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान देने की प्रेरणा भी देती है।”

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा को वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में समर्पित करें। उन्होंने कहा कि यही सच्चा धर्म और जीवन का वास्तविक सुख है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था आज विश्व की सबसे तेज़ी से विकसित होती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, और सरकार युवाओं के लिए नए अवसर सृजित करने हेतु अनेक नीतिगत कदम उठा रही है। उच्च शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें।

राष्ट्रपति ने शोध, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता है कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय इन क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए समर्पित है। उन्होंने बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।

उन्होंने हिमालय की जीवनदायिनी संपदाओं के संरक्षण की जिम्मेदारी सभी नागरिकों पर बताते हुए विश्वविद्यालय के पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रयासों की सराहना की।


राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को न केवल शिक्षा प्रदान करनी चाहिए, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे आसपास के गाँवों में जाकर लोगों की समस्याओं को समझें और समाधान के लिए आगे आएँ।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया गया है, और इस लक्ष्य की प्राप्ति में कुमाऊँ विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विद्यार्थी अपनी प्रतिभा और समर्पण से इस दिशा में सार्थक योगदान देंगे।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों को दी प्रेरणा

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने समारोह में राष्ट्रपति के सान्निध्य को गौरवपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल बुद्धि का विकास नहीं, बल्कि चरित्र का निर्माण है।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे सेवा, सत्यनिष्ठा और संवेदना को अपने जीवन का आधार बनाएं। उन्होंने कहा, “सच्चा आनंद नशे में नहीं, बल्कि लक्ष्य की प्राप्ति, सेवा और सृजन में है।”

उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने और तकनीकी युग की चुनौतियों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा विज्ञान, डिजिटलीकरण और साइबर सुरक्षा जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, इसलिए तकनीक को अपनाना समय की मांग है।


राज्यपाल ने विद्यार्थियों को संदेश दिया “सीखना कभी मत छोड़िए, समय का सम्मान कीजिए, सत्य और ईमानदारी से समझौता न करें, और अपनी संस्कृति से जुड़े रहें , यही आपकी असली पहचान होगी।”

राष्ट्रपति का नैनीताल प्रवास सफलतापूर्वक सम्पन्न

अपने प्रवास के दौरान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने माँ नयना देवी मंदिर तथा कैंची धाम में पूजा-अर्चना कर देश और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सहभागिता के बाद राष्ट्रपति का नैनीताल प्रवास सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

सायंकाल राष्ट्रपति मुर्मू हल्द्वानी से नई दिल्ली के लिए रवाना हुईं। उनके प्रस्थान के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से नि) गुरमीत सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत, आईजी ऋद्धिम अग्रवाल, डीएम ललित मोहन रयाल, एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टी.सी., एसएसपी अल्मोड़ा देवेंद्र पींचा सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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