अयोध्या में रामोत्सव की तैयारी..लेकिन यह घटना भी जानिये_जब तत्कालीन सीएम पं गोविंद बल्लभ पंत ने सच छुपने नहीं दिया

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अयोध्या में प्रभु श्री राम के विराजमान होने की तैयारी चल रही है, लेकिन उनके अवतरित होने के दौरान घटी एक दुर्भायपूर्ण घटना आपको जरूर मालूम होनी चाहिए। सोशियल मीडिया में अपलोड एक वीडियो से ये पता चला कि चाचा नेहरू ने 1949 में प्रधानमंत्री रहते यूनाइटेड प्रोविंस(उत्तर प्रदेश)के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत पर दबाव बनाकर रामलला के अवतरण को छुपाना चाहते थे।


इनदिनों, 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में राम लला के विराजमान होने की खबरें सुर्खियों में हैं। ऐसे में सोशियल मीडिया का एक वीडियो ऊत्तराखण्ड में भवाली निवासी पंडित गोविंद बल्लभ पंत के अडिग हौसलों और मजबूत इरादों की कहानी बयां कर रहा है।

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‘द जयपुर डायलॉगस’ में प्रखर श्रीवास्तव और संजय दीक्षित के मध्य हुए वार्तालाप से ऐसा प्रतीत होता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रामलाल अवतरण की खबरों के बाद यूनाइटेड प्रोविंस(वर्तमान यू.पी.)के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत को टेलीग्राम भेजा। चर्चा से लग रहा है कि चाचा नेहरू नहीं चाहते थे कि रामलला अयोध्या में विराजमान हों और अगर उनकी चलती तो वह वहां 5 दफ़े की नमाज़ पढ़ा देते। रामलला की मूर्ति अवतरित होने के बाद उत्पन्न हालातों से भयभीत मुस्लिमों ने पंडित नेहरू को संपर्क किया।

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चाचा नेहरू ने पंडित पंत को टेलीग्राम भेजी कहा गया कि वहां के हालात चिंताजनक हैं और यहां के परिस्थितियों का विपरीत असर जम्मू कश्मीर पर पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यू.पी.का प्रशासन घटनाओं को नहीं रोक रहा है। नेहरू के पत्र में कहा गया कि जो कांग्रेस का स्तंभ थे, आज उनके दिलोदिमाग पर सांप्रदायिकता ने कब्जा कर लिया है, जो लकुवा समान है।

वर्ष 1949 में लिखे प्रधानमंत्री नेहरू के पत्र से लगता है कि वो नहीं चाहते थे कि अयोध्या में प्रभु श्री राम विराजमान हों। उन्होंने अपने अयोध्या आने का प्रस्ताव तक रखा, लेकिन सनातन प्रेमी मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने रामलला की अवतरित मूर्ति को नहीं हटने दिया और प्रधानमंत्री के माहौल ख़राब होने की आशंका के मद्देनज़र वहाँ ताला लगवा दिया। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आज अयोध्या में रामलला के विराजमान होने की घड़ी नजदीक आ गई है। आप इस संवाद को इस वैबसाइट में देख सकते हैं। :-

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