उत्तराखंड में पहली बार कई उद्योगों में काम आने वाली सिलिका रेत के खनन की तैयारी पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए जनपद उत्तरकाशी में 9 लोकेशन को मार्क किया गया है इसके खनन की तैयारी में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने कवायद भी शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने का प्लान है अभी तक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में नदियों में खनन करता है इसके अलावा बागेश्वर में खड़िया की निकासी होती है। इससे सरकार को अच्छे खासे रेवेन्यू की प्राप्ति होती है।
वहीं अब विभाग नए क्षेत्र में राजस्व की तलाश में जुट गया है इसी के तहत उत्तरकाशी में सिलिका रेत के खनन की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए जनपद उत्तरकाशी में 9 लोकेशन की मार्किंग की गई है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सिलिका रेत से जुड़ी टेस्टिंग का काम भी शुरू हो चुका है। अब चिन्हित जगह पर वेरिफिकेशन का काम चल रहा है। इससे जहां पर सिलिका रेत की निकासी की जानी है वह भूमि राजस्व,वन विभाग या निजी है इसके बारे में इंक्वारी की जा रही है।
विभाग हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने का प्लान बना रहा है इस कार्य को बोली के माध्यम से दिया जाएगा। सूत्रों प्राप्त हो रही जानकारी के मुताबिक इसकी बेसलाइन मूल्य 15 करोड़ रूपया रखा जा सकता है।
कई उद्योगों के लिए पर्फेक्ट मानी जाने वाली सिलिका रेत को सफेद रेत या औद्योगिक रेत भी कहा जाता है। ज्यादातर इसका उपयोग कांच निर्माण में होता है साथ ही मिट्टी के पात्र निर्माण, सामग्री पेंट और कोटिंग्स से लेकर गोल्फ कोर्स और खेल के मैदान में भी होता है।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के महानिदेशक राजपाल लेघा ने बताया राज्य में पहली बार सिलिका रेत की निकासी की योजना है यह कार्य उत्तरकाशी जिले में होगा। इसके लिए जगह का चिन्हीकरण किया गया है। अन्य प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। सिलिका रेत के खनन से करीब ढाई सौ करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा।
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