हाईकोर्ट : सचिव पंचायतीराज और डी.एम. के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई संबंधी याचिका निस्तारित

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को प्रशासक नियुक्त नहीं करने संबंधी विशेष अपील में सचिव पंचायतीराज और जिलाधिकारी चमोली के खिलाफ न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही हुई।

मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ ने याचिका को इस आधार पर निस्तारित कर दिया कि सचिव ने न्यायालय के आदेश का अनुपालन बीती एक अप्रैल को रात 9 बजे कर दिया था। कहा कि भंडारी को प्रशासक का दायित्व दे दिया गया है और उन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है।


मामले के अनुसार, पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर न्यायालय ने दोनों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही कर जवाब पेश करने को कहा था। आज उस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट को सरकार ने न्यायालय में दाखिल किया। अनुपालन रिपोर्ट से सन्तुष्ट होकर न्यायालय ने उनके खिलाफ चल रही अवमानना की कार्यवही पर रोक लगाकर याचिका को निस्तारित कर दिया।

न्यायालय ने बीती 27 मार्च को राज्य सरकार से कहा था कि उन्हें शिघ्र प्रशासक का चार्ज दें और उसकी रिपोर्ट एक अप्रैल तक न्यायालय में पेश करें। लेकिन न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ और न ही उनको प्रशासक का चार्ज दिया। इसपर न्यायलय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए दोनों अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय के आदेश की अवमानना करने का नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था।

विशेष अपील में उन्होंने कहा कि जिला पंचायतों का कार्यकाल पूर्व में समाप्त हो गया था। उसके बाद सरकार ने सभी निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक बना दिया। लेकिन उन्हें प्रशासक नियुक्त नहीं किया। उनके द्वारा इसपर आपत्ति करने पर सरकार ने कहा कि उनका मुकदमा उच्च न्यायलय में विचाराधीन है। इसलिए उन्हें प्रशासक नहीं बनाया जा सकता।

सुनवाई में भंडारी की तरफ से कहा गया कि वे उच्च न्यायलय के आदेश के बाद बहाल हो गयी थी। बहाली का आदेश आज भी बरकरार है, जिसपर न्यायालय ने उन्हें शिघ्र प्रशासक का चार्ज सौंपने के साथ उसकी रिपोर्ट न्यायालय में देने को कहा था।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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