बच्चों को मोबाइल देने वाले माता-पिता सावधान_ये आदत रुकनी चाहिए,नहीं तो…
अपने बच्चों को मोबाइल देने वाले माता पिता हो जाएं सावधान ! चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार आंख, दिमाग और शरीर पर कुछ ही समय में दिखने लगेंगे विपरीत असर। सभी चिकित्सकों की सलाह है कि बच्चों को खेल मैदान और किताबों की आदत डालने में सहायता करें। उन्होंने ये भी कहा कि पहले बच्चों के सामने खुद करों फिर उन्हें कहो।
भारत में कोविड19 वायरस का प्रकोप बढ़ने के साथ ही लॉक डाउन लगा और स्कूलों को बंद कर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी गई। अधिकतर छात्र छात्राओं और शिक्षकों ने मोबाइल जबकि कुछ ने टैबलेट, लैपटॉप, डैस्कटॉप से घर बैठकर पढ़ाई करी। स्क्रीन का ऐसा असर हुआ कि कोविड19 खत्म होने के बाद भी बच्चे मोबाइल से चिपके रह गए।
इस दौरान माता पिताओं ने भी जाने अनजाने में इसके दुष्परिणाम जाने बगैर छोटे छोटे बच्चों को शांतिपूर्वक बैठाने की लालसा में अच्छा हत्यार/तरीका मान लिया। अब अधिकतर बच्चे इस बुरी आदत से बाहर निकलने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में हमने चिकित्सकों से बात कर इसका इम्पैक्ट और उपाय जाना।
बच्चों पर क्या असर और किस हद तक खतरनाक..
सुशीला तिवारी अस्पताल(एस.टी.एच.) में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुंजन नगरकोटी ने बताया कि ये कोविड इंफेक्शन के बाद से शुरू हुआ, जब बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ना शुरू किया। अब काफी बच्चों के परिजन उनकी समस्याओं को लेकर अस्पताल आते हैं। ये बच्चे एक जगह पर घंटों बैठकर स्क्रीन में ही देखते रहते हैं, जबकि दो वर्ष की उम्र तक तो बच्चों को कोई भी स्क्रीन दिखानी ही नहीं चाहिए।
इससे अधिक उम्र के बच्चों को 24 घंटे में से केवल एक घंटे ही स्क्रीन देखने देनी चाहिए। बच्चे बच्चे बैठे बैठे मोटापे का शिकार बन रहे हैं, जिससे आगे चलकर इन्हें बीमारियां भी घेर लेंगी। ये बच्चे दूसरे बच्चों के सीधे संपर्क में नहीं आते और वो सामान्य रूप से बोलने व त्वरित जवाब देने में भी असमर्थ हो रहे हैं। उन्होंने, पेरेंट्स को सुझाव दिया कि वो बच्चों को खेल मैदान तक ले जाएं और उन्हें केवल निर्धारित समय के लिए ही स्क्रीन देखने दें।
बच्चे को खाने के समय स्क्रीन पर कुछ न करने दें और सिर्फ भोजन कराएं। उन्होंने कहा कि ये एक महामारी जैसा हो गया है। पेशयंट बच्चे में चार से छह माह में विपरीत असर(दुष्परिणाम)नज़र आने लगेगा। डॉक्टर ने बताया कि जब काम करने के लिए बच्चे को कोई भी स्क्रीन दी जाती है तो उसे परिजन अनिवार्य रूप से मॉनिटर करें।
नेत्र रोग विशेषज्ञ ने चेताया”_ये विज़िबिल्टी को खराब कर सकता है
एस.टी.एच.के नेत्र रोग विशेषज्ञ और एच.ओ.डी.
प्रो.डॉ.गोविंद सिंह तितयाल के अनुसार उनके विभागीय सर्वे में ये पाया गया कि कोविड के बाद से ही अचानक बच्चे दृष्टि दोष का शिकार हो गए। इसका कारण कोविड काल से शुरू हुआ ऑनलाइन शिक्षा पद्वति है। उन्होंने बताया कि एम्स की एक रिसर्च के बाद डॉक्टरों का कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो 50वर्ष बाद देश के 50 प्रतिशत लोग चश्मा पहनने लगेंगे।
उन्होंने बताया कि अब परिजन बच्चे को खिलौने की जगह मोबाइल देते हैं, जो बहुत गलत है और हर हाल में ये आदत् रुकनी चाहिए। उन्होंने जॉब करने वाले युवाओं से कहा कि वो हर 20 मिनट में बीस बार पलकें झपकाएं, ये फायदेमंद रहेगा।
जानें – हड्डी रोग स्पेशलिस्ट्स की अहम राय
एस.टी.एच.के ही हड्डी अथवा अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गणेश सिंह के अनुसार बच्चों को मोबाइल या कोई स्क्रीन ‘पढ़ाई’ के अलावा देनी ही नहीं चाहिए। बताया कि अगर बच्चे का स्क्रीन देखना जरूरी है तो वो दूर से सीधी पीठ करके ही देखे।
डॉक्टर ने कहा झुकने से गर्दन के ऊपर की हड्डी बढ़ जाती है, जिससे बेहद दर्द होता है। इससे बुढापा भी जल्दी आने की संभावना है। कहा कि बच्चों ने खेलना कूदना चाहिए तांकी उनका शरीर डेवलप हो सके। डॉक्टर पंकज ने बच्चों से कहा कि उनके शरीर पर 25 वर्ष की उम्र तक की गई मेहनत ही जीवन भर आरोग्य रहने का काम करेगी।
उन्होंने अपने साथी डॉक्टर व उनके बच्चों का उदाहरण देते हुए बताया कि डॉक्टर ने अपने बच्चे को सवेरे से पढ़ाई, ट्यूशन, अबेकस और खेल में इतना बिजी कर दिया कि वो घर आकर मोबाइल देखने की जगह बिस्तर पर सो जाता है। सभी ने ऐसा ही करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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