जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो इंसाफ के लिये आखिरी रास्ता अदालत ही बचती है। जी हां ऐसा ही कुछ मामला हल्द्वानी में सामने आया है। हालांकि मामला पुराना है लेकिन अब अदालत ने लापरवाही बरतने के मामले में तत्कालीन सीओ और थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दे दिए हैं। साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिए हैं कि मामले की जांच जिले के बाहर के एसएसपी से करवाई जाए ताकि जांच प्रभावित न हो यानी अदालत को नैनीताल पुलिस पर भरोसा नहीं है ।
जानिए क्या है मामला
मुखानी थाना क्षेत्र अंतर्गत अनुसूचित जाति की महिला से घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में लापरवाही बरतना पुलिस के अधिकारियों को भारी पड़ा है. न्यायालय ने लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि मुकदमा दर्ज नहीं होने पर पीड़िता न्यायालय पहुंच गई. जहां न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लिया और मुखानी के तत्कालीन थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी रहे भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मुखानी थाने को आदेश किए हैं।
बताया जा रहा है कि मुखानी थाना क्षेत्र अंतर्गत पनियाली निवासी प्रमिला देवी ने बताया कि वह अपने दो बेटों के साथ रहती है. आरोप है कि गिरीश चंद्र तिवारी ने उसके बेटे पंकज को एक जमीन में निवेश का झांसा देकर पैसे ऐंठ लिए और ब्लैंक चेक भी ले लिया. इसके बाद गिरीश चंद्र द्वारा उसके साथ धोखाधड़ी की गई. गिरीश के खिलाफ पंकज ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था, जो न्यायालय में विचाराधीन है।
आरोप है कि इसी वाद को वापस लेने के लिए गिरीश दबाव बना रहा था. चार जनवरी को गिरीश प्रमिला देवी के घर में घुस आया. उस समय उसके दोनों बेटे घर पर नहीं थे. आरोप है कि गिरीश ने महिला को बाल पकड़कर घसीटा, गालियां दीं और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल पर जान से मारने की धमकी दी.पीड़ित महिला अपने साथ हुई घटना की शिकायत करने मुखानी पुलिस के पास पहुंची जहां पीड़िता ने आपबीती बताई। जिसके बाद तत्कालीन क्षेत्राधिकारी ने मामले की जांच की फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
एससी- एसटी मामलों से जुड़े कानून पर गौर करें तो कानून यह कहता है कि एससी- एसटी एक्ट के तहत यदि किसी अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है तो उस सूचना के संबंध में पुलिस कोई जांच नहीं करेगी।बावजूद इसके तत्कालीन सीओ हल्द्वानी भूपेंद्र सिंह धौनी ने जांच की। जबकि एससी एसटी एक्ट में पुलिस को बिना मुकदमे को दर्ज किए किसी मामले की जांच का अधिकार ही नहीं है।इस पर पीड़ित महिला ने न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल की शरण ली। कोर्ट ने गिरीश चंद्र तिवारी पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 452, 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।कोर्ट ने यह भी माना कि तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। ऐसे में तत्कालीन इन दोनों के खिलाफ भी एससी- एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
तीनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ ही न्यायालय ने यह आदेश भी दिया है कि इस मामले की जांच जिले के बाहर के एसएसपी से कराई जाए, जिससे किसी प्रकार से जांच प्रभावित न हो. फिलहाल न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस मामला दर्ज करने की कार्रवाई कर रही है।
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