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केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार 24 नवंबर को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि ‘तोड़-मरोड़’ कर पेश किए गए इतिहास को सुधारकर उसे फिर से लिखने से कोई नहीं रोक सकता है. इतिहासकारों और छात्रों को भारत के विभिन्न हिस्सों में 150 साल से ज्यादा शासन करने वाले 30 साम्राज्यों और देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाली 300 से अधिक विभूतियों पर शोध कर सच्चा इतिहास लिखना चाहिए.
गृहमंत्री ने कहा, ‘‘अगर लचित बोड़फूकन ना होते तो पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा ना होता क्योंकि उस वक्त उनके लिए गए निर्णयों और उनके साहस ने न केवल पूर्वोत्तर बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को धर्मांध आक्रांताओं से बचाया.’’ उन्होंने कहा कि लचित बोरफुकन के उस पराक्रम का उपकार पूरे देश, सभ्यता और संस्कृति पर है. वह अहोम साम्राज्य के महान जनरल लचित बोड़फूकन की 400वीं जयंती पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे.
इतिहास को गौरवमयी बनाकर रखना चाहिए सामने
शाह ने असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्व शर्मा से अनुरोध किया कि लचित बोड़फूकन के चरित्र का हिन्दी और देश की 10 अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाए ताकि देश का हर बच्चा उनके साहस और बलिदान से अवगत हो सके. गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री
जी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार देश के गौरव के लिए किए गए किसी भी पुरुषार्थ की समर्थक है. उन्होंने कहा कि हमें इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किए जाने वाले विवाद से बाहर निकलकर इतिहास को गौरवमयी बनाकर पूरे संसार के सामने रखना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अकसर शिकायतें मिलती हैं कि हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, उसके साथ छेड़छाड़ की गई है. यह आरोप सच भी हो सकते हैं. लेकिन उन्हें सुधारने से कौन रोक रहा है? अब हमें सच्चा इतिहास लिखने से कौन रोक सकता है?’’ शाह ने इतिहासकारों और छात्रों से कहा कि उन्हें भारत के विभिन्न हिस्सों में 150 साल से ज्यादा शासन करने वाले 30 साम्राज्यों और देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाली 300 से अधिक विभूतियों पर शोध करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इससे नया और सही इतिहास सामने आएगा और असत्य अपने आप इतिहास से अलग हो जाएगा.’’
देश के इतिहास पर गौरव होना जरूरी – शाह
अमित शाह ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता के इतिहास के नायकों के बलिदान और साहस को देश के कोने- कोने में पहुंचाने से हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी. शाह ने कहा कि जिस देश की जनता को अपने इतिहास पर गौरव होने का बोध ना हो, वो अपना सुनहरा भविष्य कभी नहीं बना सकती. उन्होंने कहा कि अगर देश का स्वर्णिम भविष्य बनाना है तो देश के इतिहास पर गौरव होना बहुत ज़रूरी है.
चुनावी माहौल के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक यानी CAA को लेकर कही बड़ी बात
गृहमंत्री अमित शाह ने फिर से इस मामले को हवा देने का काम कर दिया है. एक इंटरव्यू में अमित शाह ने साफ किया है कि जिन लोगों को लग रहा है कि सरकार ने सीएए को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, वो गलत हैं. लोग इसे लेकर कंफ्यूजन में न रहें.
टाइम्स नाउ नवभारत के एक कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए एक वास्तविकता है और इस देश का कानून है. इसे लागू नहीं होने को लेकर सपना देखने वाले भूल कर रहे हैं. गृहमंत्री ने सीएए को लागू करने में हो रही देरी को लेकर कहा कि, हमें इसे लेकर नियम बनाने हैं. कोरोना के चलते ये लागू नहीं पाया था, लेकिन अब कोरोना खत्म हो रहा है. अब इस पर काम होगा. हालांकि ऐसा नहीं है कि अमित शाह ने पहली बार ये कहा हो. इससे पहले भी अपने कई भाषणों में अमित शाह नागरिकता कानून को लागू करने का जिक्र कर चुके हैं.
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर दिया जवाब
इस कार्यक्रम के दौरान अमित शाह से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर भी सवाल पूछा गया. जिस पर गृहमंत्री ने कहा कि मामला अभी कोर्ट में इसलिए इस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है. क्योंकि अयोध्या के फैसले के बाद जो विवाद सामने आए हैं, उसमें इस कानून को लेकर चुनौती सामने आई है. मैं मानता हूं कि हर कानून अदालत की लीगल स्क्रूटनी से पास होने चाहिए. सरकार इस पर अपना जवाब दाखिल करेगी.
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