नहीं रहे मशहूर एक्टर-डायरेक्टर सतीश कौशिक, ग़म में डूबा बॉलीवुड

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अपनी शानदार एक्टिंग से सभी का दिल जीत चुके एक्टर सतीश कौशिक का 66 साल की उम्र में निधन हो गया है. सतीश कौशिक के निधन की खबर सामने आने के बाद पूरा बॉलीवुड गम में डूब गया है. सतीश कौशिक का निधन हार्ट अटैक से हुआ है. फैंस से लेकर सेलेब्स तक हर कोई इस बात का विश्वास नहीं कर पा रहा है कि एक्टर अब उनके बीच इस दुनिया में नहीं रहे हैं. सोशल मीडिया पर सेलेब्स अपना दुख व्यक्त कर सतीश कौशिक को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

सतीश कौशिक के निधन की जानकारी उनके करीबी दोस्त अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करके दी थी. उन्होंने लिखा- जानता हूं ‘मृत्यु ही इस दुनिया का अंतिम सच है!’ पर ये बात मैं जीते जी कभी अपने जिगरी दोस्त सतीश कौशिक के बारे में लिखूंगा, ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. 45 साल की दोस्ती पर ऐसे अचानक पूर्णविराम !! Life will NEVER be the same without you SATISH ! ओम् शांति!

अपने किरदार से दर्शकों के दिल पर राज करने वाले अभिनेता सतीश कौशिक ने अब इस दुनिया में नहीं हैं. 8 मार्च 2023 को हार्ट अटैक की वजह से दिग्गज एक्टर का 66 साल की उम्र में निधन हो गया. सतीश भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जो किरदार उन्होंने पर्दे पर निभाए हैं, उसके जरिए वह हमेशा अपने चाहने वालों के दिल में जिंदा रहेंगे. उन्होंने अपने कॉमिक रोल से न जाने कितने लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला दी थी. जानते हैं उन्हें किन फिल्मों से पहचान मिली और कितने अवॉर्ड्स मिले.

सतीश कौशिक ने यूं तो कई फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘जाने भी दो यारों’, ‘जमाई राजा’, ‘साजन चले ससुराल’, ‘चल मेरे भाई’, ‘हमारा दिल आपके पास है’, ‘ब्रिक लेन’, ‘उड़ता पंजाब’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी’ जैसी कई नामी फिल्मों में काम किया है. हालांकि, उन्हें असली पहचान ‘मिस्टर इंडिया’ से मिली, जिसमें उन्होंने ‘कैलेंडर’ का रोल प्ले किया था. इसके अलावा उन्होंने ‘दीवाना मस्ताना’ में ‘पप्पू’, ‘मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी’ में ‘चंदा मामा’, ‘साजन चले ससुराल’ में ‘मुत्थू स्वामी’, ‘परदेसी बाबू’ में ‘हैप्पी हरपाल सिंह’ और ‘राम लखन’ में ‘काशीराम’ जैसे किरदार से दर्शकों के दिलों को जीत लिया था.

सतीश कौशिक ने अपने उम्दा एक्टिंग से कई अवॉर्ड्स अपने नाम किया है. उन्हें ‘परदेसी बाबू’ में बेस्ट कॉमिक रोल के लिए ‘बॉलीवुड अवॉर्ड’ मिला था. ‘कागज’ में सपोर्टिंग रोल के लिए वह ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड’ भी अपने नाम कर चुके हैं. उन्हें ‘साजन चले ससुराल’ और ‘राम लखन’ के लिए दो ‘फिल्मफेयर अवॉर्ड्स’ मिले हैं. उन्हें ‘थार’ के लिए ‘ओटीटी प्ले अवॉर्ड’ भी मिला है.

एक्टिंग और लेखनी में तो सतीश का कोई तोड़ नहीं था, लेकिन वह डायरेक्शन में भी काबिल थे. पहले ही बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ और दूसरी फिल्म ‘प्रेम’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई थी, लेकिन ‘तेरे नाम’, ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ जैसी हिट फिल्मों ने उनकी काबिलियत को साबित कर दिया था.

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