सांसद अजय भट्ट ने कांग्रेस पर संविधान से खिलवाड़ के गंभीर आरोप लगाए, कहा – ‘सत्ता की खातिर संविधान को कुचला गया’


हल्द्वानी : नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद और केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सोमवार को कुमाऊं मंडल कार्यालय हल्द्वानी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस पार्टी पर संविधान से बार-बार खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने संविधान को सत्ता प्राप्ति और उसे बनाए रखने के औजार के रूप में इस्तेमाल किया है, और जब-जब संविधान व सत्ता में से किसी एक को चुनने का अवसर आया, कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को चुना।
अजय भट्ट ने कहा कि संविधान निर्माण में बाबा साहेब अंबेडकर की अग्रणी भूमिका रही, लेकिन कांग्रेस ने उनके विचारों और संविधान की आत्मा का निरंतर अपमान किया। उन्होंने बताया कि आज जो कांग्रेस संविधान की रक्षा की बात करती है, वही पार्टी पहले संविधान संशोधन से लेकर आपातकाल और शाहबानो केस तक लगातार संविधान की मूल भावना को आहत करती रही।
उन्होंने कहा, “देश का पहला संविधान संशोधन 1951 में किया गया, जब अभी देश का पहला आम चुनाव तक नहीं हुआ था। कांग्रेस के पास कोई जनादेश नहीं था, लेकिन उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए संविधान संशोधन कर डाला।
संविधान में हुए 106 संशोधनों में 80 कांग्रेस काल में
सांसद अजय भट्ट ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि आज तक भारतीय संविधान में 106 बार संशोधन हो चुके हैं, जिनमें से 80 से अधिक बार कांग्रेस के शासन काल में हुए। नेहरू के 14 वर्षों के शासन में 17 बार संविधान बदला गया। इंदिरा गांधी ने 42वां संशोधन कर संविधान के मूल स्वरूप में इतने व्यापक बदलाव किए कि उसे ‘मिनी संविधान’ तक कहा गया।
उन्होंने कहा, “42वें संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे शब्द जोड़े गए, जबकि संविधान निर्माताओं ने इसकी आवश्यकता नहीं समझी थी। इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान 38वें और 39वें संशोधनों के जरिए न्यायपालिका और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर भी कुठाराघात किया।”
सांसद भट्ट ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि शाहबानो केस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट कर कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की अनदेखी की, सिर्फ वोट बैंक के लिए।
सांसद ने कहा कि कांग्रेस की सरकारें राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग के लिए भी जानी जाती रही हैं। “इंदिरा गांधी के शासनकाल में 50 से अधिक बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। यह दर्शाता है कि कांग्रेस ने लोकतंत्र और राज्यों की स्वायत्तता का लगातार हनन किया।”
उन्होंने भाजपा के शासन को संविधानसम्मत और सुधारात्मक बताया। “2003 में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में 91वां संविधान संशोधन कर मंत्रिमंडल के आकार को सीमित किया गया और दलबदल को रोकने हेतु कठोर प्रावधान किए गए। हमने संविधान के माध्यम से सुशासन को मजबूत किया”।
उन्होंने कहा कि 1973 में सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर जजों को नजरअंदाज कर चौथे को मुख्य न्यायाधीश बनाना यह दर्शाता है कि इंदिरा गांधी ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भी नहीं बख्शा। इसी प्रकार, बार-बार धारा 356 का इस्तेमाल कर चुनी हुई राज्य सरकारों को बर्खास्त करना कांग्रेस की प्रवृत्ति रही है।
संविधान की मूल भावना कायम है, रहेगी: अजय भट्ट
अंत में अजय भट्ट ने कहा कि भारत का संविधान आपातकाल, भ्रष्ट सरकारों और सत्ता के लालच के सामने मजबूती से खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी संविधान के मूल चरित्र को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और कांग्रेस लाख कोशिश करे, संविधान की आत्मा को बदलने नहीं दिया जाएगा।
प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, मेयर गजराज सिंह बिष्ट, प्रदेश मीडिया प्रभारी चंदन बिष्ट, महामंत्री रंजन बर्गली, नवीन भट्ट समेत अनेक पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।


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