पर्वतीय संस्कृति व गुमनाम लोक कलाकारों की प्रतिभाओं को नई पीढ़ी के बीच ला रही है पिता-पुत्र की जोड़ी

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड की कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए शिक्षक गौरीशंकर काण्डपाल अपने पुत्र प्रणव काण्डपाल के साथ मिलकर उत्तराखंड के कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए विभिन्न तरह के कार्यों में जुटे रहते हैं जिनमें से कुछ परंपराएं अतीत के पन्नों में विलुप्त हो चुकी हैं,उनको लेकर भी पिता पुत्र काफी संजीदा है। इस समय उनके द्वारा उत्तराखंड की होली को लेकर गीत गाए गए हैं जिसे हुड़के और ढपली की थाप पर प्रस्तुत किया गया है। प्रणव काण्डपाल सेंट थेरेसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल काठगोदाम में कक्षा एक में पढ़ते हैं । उनके द्वारा अपने पिता के साथ मिलकर बेहतरीन ढंग से गीतों को गाया एवं ढपली को बजाया जाता है। अपने यूट्यूब चैनल पहाड़ी रिसोर्सेज के माध्यम से वे उत्तराखंड के गुमनाम कलाकारों की कला और संस्कृति से जुड़े विभिन्न तत्वों को संरक्षित एवं संवर्धित भी करते हैं । संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में संचालित संस्थान सीसीआरटी से जुड़े गौरीशंकर काण्डपाल उत्तराखंड के गुमनाम कलाकारों की कला को सहेज कर अपने चैनल यूट्यूब चैनल के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचाने का भी कार्य करते हैं । अब तक उनके द्वारा 300 से अधिक कलाकारों को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की योजनाओं के बारे में बताया जा चुका है, जिससे कई कलाकार लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
वर्तमान समय में युवा पीढ़ी अपनी लोक कला और संस्कृति से विरत होती जा रही है, ऐसे में गौरीशंकर काण्डपाल इसे अपने प्रयासों से संरक्षित करने का कार्य भली-भांति कर रहे हैं।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page