उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने सड़क किनारे बने व्यावसायिक अथवा घरेलू भवनों को ध्वस्त करने संबंधी जनहित याचिका में अतिक्रमणकारी का पक्ष सुनने के बाद कि अगला कदम उठाने के सरकार को निर्देश जारी किए हैं।
मुख्य स्थायी अधिवक्ता(सी.एस.सी.)चंद्रशेखर सिंह रावत ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ से अतिक्रमण ध्वस्तीकरण संबंधी जनहित याचिका में उन्होंने कहा कि वो सभी लोगों की बातें सुन रहे हैं और तदनुसार कार्यवाही कर रहे हैं।
उन्होंने न्यायालय से ये भी कहा कि बिना अतिक्रमणकारी की पूरी बात सुने वो किसी भी तरह का ध्वस्तीकरण नहीं करेंगे। कहा कि सभी जिलाधिकारियों और डी.एफ.ओ.ने अपने जवाब न्यायालय में दाखिल कर दिए हैं।
सुओ मोटो(स्वतः संज्ञान)लेकर जनहित याचिका के रूप में मानते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश के जिलाधिकारियों और डी.एफ.ओ.से सड़क किनारे बने निर्माण को बिना सुनवाई के अवैध मानते हुए ध्वस्त करने के आदेश दिए थे।
न्यायालय ने सड़क किनारे बैठे वैध और अवैध निर्माणों को राहत देते हुए सरकार से कहा कि वो सभी अतिक्रमणकारियों के पक्ष को अच्छी तरह से सुनने के बाद ही मामले को निस्तारित करें। वो अतिक्रमणकारियों के निर्माण को बिना सुने ध्वस्त न करें। इस मामले के गर्माते ही कुछ पक्षों ने इंटरवेंशन एप्लिकेशन लगाई थी।
पूर्व बार अध्यक्ष और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभाकर जोशी ने बताया कि खंडपीठ ने प्रदेश के जिलाधिकारियों और डी.एफ.ओ.से सड़क किनारे लोक निर्माण विभाग और वन भूमि से अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए। उनकी प्रार्थना पर न्यायालय ने आदेश देते हुए सरकार से कहा है कि बिना उचित सुनवाई के किसी भी अतिक्रमणकारी को न हटाया जाए। एक प्रक्रिया के बाद कोई भी कदम उठाया जाए।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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