बदहाल स्वास्थ सेवाओं को लेकर हाईकोर्ट सख़्त ,मॉनिटरिंग कमेटी को दिए निर्देश

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना काल में प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के खिलाफ दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए जिला मॉनिटरिंग कमेटी को निर्देश दिए हैं कि 8 मार्च तक किस अस्पताल में क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं ? उनकी जांच करके न्यायालय को अवगत कराएं। मामले की अगली सुनवाई के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खण्डपीठ ने 8 मार्च की तिथि तय की है।


आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि सरकारी अस्पतालों में क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, इसकी जानकारी राज्य के मैडिकल पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हैं। इसकी वजह से मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सरकार की मैडिकल वैबसाइट में इस बात का भी उल्लेख किया जाय कि प्राईमेरी और बेस अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में कौन कौन सी सुविधाएं उपलब्ध है ?


मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल व अन्य आठ ने क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।

जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटीया गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से शुझाव माँगे थे। याचिकाओ में यह भी कहा गया है कि महामारी से लड़ने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कोई व्यवस्था नही की गई है।

बाईट :- शिव भट्ट, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।

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