उच्च न्यायालय ने अनियमितता संबंधी जनहित याचिका से सी.एम.और सी.एस.सी.के नाम हटाने के लिए याचिकाकर्ता को निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 26 दिसंबर को होनी तय हुई है।
राज्य सरकार द्वारा एक मामले में विशेष अधिवक्ता आबद्ध किये जाने के खिलाफ हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी आर.टी.आई.एक्टिविस्ट भुवन पोखरिया की जनहित याचिका में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता भुवन, महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर और स्थायी अधिवक्ता गजेंद्र त्रिपाठी मौजूद थे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मंनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए की वो पार्टी की लिस्ट में से पांचवे और छटे नंबर के लोगों यानी मुख्यमंत्री और सी.एस.सी.के नामों को हटा दें। इसके साथ ही न्यायालय ने पार्टी की संशोधित लिस्ट को एक सप्ताह में दाखिल करने को कहा है।
मामले के अनुसार, ने जनहित याचिका दाखिल कर राज्य सरकार द्वारा बिना न्याय विभाग की अनुमति के उच्च न्यायलय में कुछ विशेष मामलों की बहस के लिए सर्वोच्च न्यायलय से स्पेशल काउंसिल बुलाने और उन्हें प्रति सुनवाई 10 लाख रुपये देने के खिलाफ याचिका दायर की। न्यायालय ने इसपर राज्य सरकार से दस्तावेजों के साथ मुख्य सचिव(सी.एस.)का शपथपत्र मांगा था।
याचिका में दो प्रतिवादी वर्तमान में सी.एम.और मुख्य स्थायी अधिवक्ता हैं। आरोप है कि केस में स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के बाद लाखों रुपयों का भुगतान किया गया, जबकि केस के दिन न्यायालय के आदेश में उनका नाम ही नहीं छपा था।
याचिका में कहा गया कि स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए सरकार को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और न्याय विभाग से अनुमति लेनी होती है। उनकी स्वीकृति के बाद ही स्पेशल काउंसिल नियुक्त किये जा सकते हैं। लेकिन यहाँ सरकार ने यह प्रक्रिया नहीं अपनाई और लाखों रुपयों का भुगतान कर दिया।
याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के लॉ एंड लीगल रिमेम्बरेन्स, माइनिंग और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट सचिव, महानिदेशक भूगर्भ और खनन यूनिट, निदेशक भूगर्भ और खनन यूनिट, मुख्यमंत्री वाया प्रमुख सचिव और मुख्य स्थायी अधीवक्ता चंद्र शेखर रावत को पार्टी बनाया था।
अब खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से सी.एम.और सी.एस.सी.के नाम हटाकर लिस्ट दाखिल करने को कहा है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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