उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजस्व पुलिस व्यवस्था(रिवेन्यू पुलिस) समाप्त करने संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका को निस्तारित किया और सरकार से कहा कि एक वर्ष में पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर रिपोर्ट न्यायालय को सौंपे।
मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ से आज राज्य सरकार ने कहा कि उन्होंने कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है और अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी थी। इसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की तरह ट्रेनिंग नहीं दी जाती हैं और न ही राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डी.एन.ए.और रक्त परीक्षण, फोरेंशिक जाँच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में बड़ी परेशानियां होती है। न्यायालय ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों के पाई लाभदायक हो। उच्च न्यायलय ने भी इस सम्बंध में सरकार को वर्ष 2018 में कई दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन उस आदेश का पालन सरकार ने नहीं किया।
जनहित याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया कि पूर्व में दिए आदेश का अनुपालन करवाया जाए। याचिकाकर्ता देहरादून के कृष्णा विहार लाइन न. एक की समाधान 256 संस्था है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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