भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज शुक्रवार (14 जुलाई) को देश के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3′ को लॉन्च किया। LVM3M4 रॉकेट के जरिए इसरो के महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-3′ को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चंद्रमा की यात्रा पर ले गया। इस रॉकेट को पूर्व में GSLVMK3 कहा जाता था। भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे ‘फैट बॉय’ और बाहुबली भी कहते हैं। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से चंद्रयान को लॉन्च किया गया। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से 10,000 से ज्यादा लोग सुबह से ही श्रीहरिकोटा में मौजूद थे, जो इस ऐतिहासिक क्षणों के गवाह बने।
चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है.
इसरो ने बताया कि एलवीएम3 एम4 वाहन ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने इसरो के वैज्ञानिकों के हवाले से बताया है कि लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरेगा और यह 23 अगस्त या 24 अगस्त को हो सकता है.
चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया गया था.
फ़्रांस दौरे पर गए पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 लॉन्च की बधाई देते हुए ट्वीट किया. पीएम मोदी ने कहा- ”चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक शानदार चैप्टर की शुरुआत की है.”
पीएम मोदी ने कहा,’यह भारत के हर व्यक्ति के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर ले जाते हुए ऊंचाइयों को छू रहा है. यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं उनके उत्साह और प्रतिभा को सलाम करता हूँ ।
जितेंद्र सिंह ने कहा, ”यह भारत के लिए गौरव का क्षण है. शुक्रिया इसरो भारत को गर्व महसूस कराने के लिए. शुक्रिया नरेंद्र मोदी, आपने यह संभव कर दिया क्योंकि आपने श्री हरिकोटा का गेट खोलकर भारत के स्पेस सेक्टर को मजबूत कर दिया।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह बोले- पीएम ने हाल ही में कहा था कि ऊंचाइयों की सीमा नहीं है. आकाश असीमित है. चंद्रयान आज सीमा से आगे गया है।अतीत का ज़िक्र करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा,”चंद्रयान दूसरी दुनिया की यात्रा पर निकला है. विक्रम सारा भाई ने छह दशक पहले जो सपना देखा था, वो आज पूरा हो रहा है. उन्हें भले ही संसाधनों की कमी हो लेकिन आत्मविश्वास की कमी नहीं थी. विक्रम और उनकी टीम को अपने पूरा भरोसा था, भारत पर भरोसा था. वो तस्वीर कौन भूल सकता है जब साइकल से रॉकेट लाया गया था।
एलवीएम3-एम4 रॉकेट अपनी तरह का सबसे लंबा और भारी रॉकेट है. इसे ‘फैट ब्वॉय’ कहा जाता है. इसरो के वैज्ञानिक इस मिशन से चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की तैयारी में हैं. यह इस मिशन का तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण काम है। अगर यह मिशन सफल रहता है तो भारत अमेरिका, चीन और सोवियत यूनियन के बाद चांद पर यह कारनाम करने वाला चौथा देश बन जाएगा ।
अगर सब ठीक रहा तो 23 अगस्त को रोवर के साथ चंद्रयान-3 लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। लैंडर के टचडाऊन करने के थोड़ी देर बाद उसका रैंप खुलेगा, जिससे रोवर उतरकर नीचे सतह पर आएगा। लैंडर-रोवर दोनों भारतीय तिरंगे के साथ अपनी पहली सैल्फी इसरो को भेजेंगे। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है।
चंद्रयान-3 के तीन लक्ष्य
- चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करने की क्षमता का प्रदर्शन
- चांद पर चलने में सक्षम रोवर बनाने की क्षमता का प्रदर्शन
- यथास्थान वैज्ञानिक परीक्षण करने की क्षमता का प्रदर्शन
बधाई हो भारत!
चंद्रयान 3 को सफलता के साथ पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया गया है। सतीश धवन अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में यह गूंजते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। जैसे ही नियंत्रण कक्ष में ये घोषणा की गई कि चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। नियंत्रण कक्ष में बैठे सभी लोग खुशी से उछल पड़े।
सोमनाथ अपनी कुर्सी से लगभग उछलते हुए सभी साथी वैज्ञानिकों को बधाई दी। सोमनाथ सभी वैज्ञानिकों से गले मिलने लगे। वह लगभग भागते हुए वहां बैठे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से हाथ मिलाने पहुंचे। इसके बाद तो पूरा नजारा ही बदल गया। हर ओर तालियों का शोर था। जो तनाव सबके चेहरे पर दिख रहा था, वह काफूर हो चुका था। इसरो चेयरमैन सोमनाथ का पहला शब्द था.. बधाई हो भारत। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की शानदार यात्रा शुरू हो गई है। चंद्रयान-3 को बहुत-बहुत बधाई। उन्होंने कहा कि अभी हमारा मिशन पूरा नहीं हुआ है।
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