UP में मतदान शुरू ..बेहद अहम माने जाने वाली पश्चिमी यूपी का कौन बनेगा सिकंदर..

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में आज राज्य के 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. मतदान शाम 6 बजे तक चलेगा. पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर सीटों पर मतदान हो रहा है. इस चरण में शामली, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा और आगरा जिलों की विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है.


पहले चरण के चुनाव में प्रदेश सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा, सुरेश राणा, संदीप सिंह, कपिल देव अग्रवाल, अतुल गर्ग और चौधरी लक्ष्मी नारायण के सियासी भाग्य का फैसला होगा. पहले चरण में 2.28 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे, जिनमें 1.24 करोड़ पुरूष, 1.04 करोड़ महिलाएं और 1448 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं.

प्रथम चरण के निर्वाचन में कुल 58 विधानसभा सीटों पर 623 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें 73 महिला उम्मीदवार हैं. पहले चरण के चुनाव के लिये कुल 10,853 मतदान केन्द्र और 26,027 मतदेय स्थल बनाये गये हैं. मतदान पर सतर्क दृष्टि रखने के लिए 48 सामान्य प्रेक्षक, आठ पुलिस प्रेक्षक और 19 व्यय प्रेक्षक तैनात किये गये हैं. इसके अतिरिक्त 2175 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 284 जोनल मजिस्ट्रेट, 368 स्टैटिक मजिस्ट्रेट और 2718 माइक्रो ऑब्जर्वर भी तैनात किये गये हैं.


विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी को पहले चरण में शामिल 58 सीटों में से 53 पर जीत मिली थी, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को दो-दो सीटें मिली थी. इसके अलावा एक सीट आरएलडी के हिस्से में गयी थी.

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बुधवार को बताया कि आयोग ने निष्पक्ष, सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिये व्यापक इंतजाम एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के मद्देनजर मतदेय स्थलों पर थर्मल स्कैनर, हैंड सेनेटाइजर, दस्तानों, मास्क, फेस शील्ड, पीपीई किट, साबुन, पानी आदि की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था की गई है.


मतदाता पहचान पत्र नहीं होने पर आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस समेत 12 अन्य वैकल्पिक पहचानपत्रों का उपयोग कर वोट डाला जा सकेगा.

सभी 58 सीटें पश्चिमी यूपी में हैं. वही पश्चिमी यूपी ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को झोली भरकर वोट दिए थे. 136 सीटों में अकेले बीजेपी 100 से ज्यादा सीटों पर विजयी रही थी, जिन 58 सीटों पर आज चुनाव हैं, उसमें 53 सीटें बीजेपी ने जीती थी.


इस बार भी बीजेपी को दोबारा सत्ता पाने के लिए पश्चिमी यूपी की बड़ी अहमियत है. तो बीजेपी को रोकने के लिए पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए भी अपना परफॉर्मेंस सुधारने की चुनौती है. इसी वजह से पहले चरण वाली सीटों पर प्रचार के दौरान दोनों खेमों में टक्कर दिखी.

साल 2017 से 2022 तक पश्चिमी यूपी में राजनीतिक समीकरण में खूब बदलाव हुए हैं. सबसे बड़ी वजह है बीजेपी से किसानों की नाराजगी और किसानों की अगुवाई का दावा करने वाले चौधरी परिवार का इस बार अखिलेश के साथ होना. 58 सीटों में करीब 24 सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं.

चुनाव की शुरुआत से पहले भी कल किसान नेता नरेश टिकैत ने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी और बीजेपी के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया. दो दिन पहले राकेश टिकैत भी बयान दे चुके हैं कि वोटर चाहे जिसे भी वोट करें, लेकिन बीजेपी को वोट ना दें. इन सारी अपील का वोटरों पर कितना असर हुआ, उसके निर्णय का वक्त है.


पश्चिमी यूपी के इलाके में हो रही वोटिंग पर सबकी नजरें हैं, क्योंकि किसान आंदोलन के असर वाले इलाके में वोटिंग है. यूपी के गन्ना बेल्ट में पहले दौर का मतदान है और जाट और मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटिंग है, जो अखिलेश और जयंत का वोटबैंक भी माना जाता है.

2024 के लोकसभा चुनाव पर भी दिख सकता है इस चुनाव का असर


तो जाटलैंड में चुनाव की बड़ी अहमियत इसलिए है, क्योंकि इसका असर पूरे यूपी के चुनाव नतीजे पर पड़ सकता है और यूपी में जीत-हार का असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी दिख सकता है. लेकिन पहले चरण के चुनाव की अहमियत सिर्फ बीजेपी के लिहाज से नहीं है. परीक्षा अखिलेश-जयंत की जोड़ी के लिए भी है. क्योंकि इस बार अखिलेश पूरी तरह अपने चेहरे पर चुनावी कैंपेन कर रहे हैं. प्रचार में हर जगह अखिलेश का ही चेहरा है तो जयंत भी पिता अजीत चौधरी के निधन के बाद पहली बार चुनावी चक्रव्यूह का इम्तिहान दे रहे हैं।

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