तुर्की ज़लज़ले में उत्तराखंड के लापता इंजीनियर का होटल के मलबे में मिला शव

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तुर्की और सीरिया में 6 फरवरी को आए भूकंप से मौतों का आंकड़ा 24 हजार के पार पहुंच गया है। जबकि 78 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। इसी बीच तुर्की में एक भारतीय का शव मिला है। उसकी शिनाख्त विजय कुमार, उम्र 35 साल के रुप में हुई है। वह उत्तराखंड का रहने वाला था। इसकी जानकारी भारतीय दूतावास ने ट्वीट के जरिए दी है।

अंकारा में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया कि छह फरवरी के भूकंप के बाद से तुर्की में लापता एक भारतीय नागरिक विजय कुमार के नश्वर अवशेष मिले हैं और माल्टा के एक होटल के मलबे के बीच उनकी पहचान की गई है। तुर्की में भारतीय दूतावास ने जानकारी देते हुए बताया कि विजय कुमार बिजनेस ट्रिप पर थे। इसी दौरान 6 फरवरी को आए भूकंप में उनकी मौत हो गई।

दरअसल, देहरादून में रहने वाले 36 वर्षीय प्लांट इंजीनियर विजय कुमार लापता हो गए हैं। वे तुर्की के अनातोलिया क्षेत्र में गैस प्लांट के निर्माण और उसे शुरू कराने की योजना पर काम करा रहे थे। भूकंप के बाद से परिजनों का उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था। विजय कुमार देहरादून के बालावाला इलाके में रहते हैं। वे बेंगलुरु के ऑक्सीप्लांट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में प्लांट इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। कुल्कु गज नामक एक कंपनी के लिए वे एसिटिलीन गैस प्लांट के निर्माण और चालू करने के लिए तुर्की गए थे।

जानकारी के अनुसार, विजय के परिवार में उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं। वह 23 जनवरी को तुर्की गया था। उनका शव मालत्या शहर में एक 24 मंजिला होटल के मलबे में दबा मिला। विजय ने अपने बाएं हाथ में एक टैटू बनवाया था। उसी टैटू से परिवार वालों ने शिनाख्त की है। विजय टेक्निशियन थे।

कंपनी की तरफ से विजिट पर गए थे विजय
उत्तराखंड में विजय का घर पौड़ी गढ़वाल के लैंसडाउन तहसील में है। विजय की पत्नी गांव में ही रहती हैं। विजय बेंगलुरु में रहते थे। वे बेंगलुरु की एक ऑक्सीप्लांट नाम की प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे थे। वे अपनी कंपनी की तरफ से तुर्की विजिट पर गए थे। फरवरी महीने के अंत में वे लौटने वाले थे। विजय की आखिरी बार बीते रविवार को अपने भाई अरुण से बात हुई थी।

इस्तांबुल में रहते हैं सबसे ज्यादा भारतीय
भारतीय दूतावास के एक अधिकारी के मुताबिक, तुर्की में करीब तीन हजार भारतीय रहते हैं। जो अलग-अलग जगहों पर बसे हुए हैं। लेकिन इस्तांबुल और अंकारा में भारतीयों की संख्या ज्यादा है। 18 सौ के आसपास लोग इस्तांबुल और उसके इर्द-गिर्द रहते हैं। वहीं 250 लोग अंकारा में रहते हैं।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा के अनुसार, भूकंप में विजय कुमार लापता थे। उनका शव मिल गया है। अन्य 10 और लोग भी फंसे हुए थे। उन्हें सुरक्षित कर लिया गया है। अब तक 75 भारतीयों ने दूतावास फोन कर मदद मांगी है।

आपको बताते चलें विजय तुर्की में औद्योगिक गैस आपूर्ति कंपनी के लिए काम करा रहे थे। इसी दौरान आए भीषण भूकंप में उनके लापता होने की सूचना आई है। सूचना के बाद से ही देहरादून में परिवार के लोग चिंतित और परेशान थे। विजय के भाई अरुण कुमार ने कहा था कि मेरा भाई सोमवार से लापता है। मैं भारतीय दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हूं। अरुण ने कहा था कि मेरा भाई 23 जनवरी को कंपनी के दौरे पर तुर्की गया था। मैंने उससे आखिरी बार 5 फरवरी (रविवार) सुबह बात की थी।

विजय कुमार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले की लैंसडाउन तहसील के ढकसुना गांव का रहने वाला है। विजय बेंगलुरु में कार्यरत था। वहीं, उसकी पत्नी और छह साल का बेटा देहरादून के बालावाला इलाके में किराए के मकान में रह रहा था। परिवार उसके कुशल इस हादसे निकलने की प्रार्थना कर रहा था। इस बीच आज दुखद भरी खबर आई है

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