प्रदेश में कहीं कूड़ा दिखे तो हाइकोर्ट को करें इन्फॉर्म, 48 घंटे में साफ करवाने की दोनों कमिश्नर की ज़िम्मेदारी… नज़ीर बनेगा आदेश..

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और उस विधिवत निस्तारण संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई की।

न्यायालय ने सभी जिलाधिकारियों के शपथपत्रों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड के शहरों को स्वच्छता में निम्नतम रैंक मिली है जो सोचनीय विषय है। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने कहा की अधिकारियों ने कूड़ा निस्तारण के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नही उठाए और केवल कागजी तौर पर कार्य किये हैं। मामले की सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने कूड़े के निस्तारण के लिए कई निर्देश दिए:-


1:- उच्च न्यायालय एक ई- मेल आई.डी.जनरेट करेगा, जिसमें प्रदेश के नागरिक सॉलिड वेस्ट और कचरे की शिकायत दर्ज कर सकेंगे। ये शिकायतें कुमायूँ व गढ़वाल के कमिश्नर को भेजी जाएंगी। दोनों डिवीजन के कमिश्नर अपने अपने क्षेत्र की सिकायतों का निस्तारण 48 घण्टे के भीतर कर उसकी रिपोर्ट उच्च न्यायलय को देंगे।


2:- कुमायूँ व गढ़वाल कमिश्नर सम्बंधित जिलों के जिलाधिकारियों के साथ हर गाँव का दौरा करेंगे। पता करेंगे कि वहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की क्या व्यवस्था है। उसका कैसे निस्तारण किया जा सकता है। 3:- शहरों में पड़े लिगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए न्यायालय ने सम्बंधित निकायों को अंतिम अवसर दिया है, उसके बाद न्यायालय सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेगी।


मामले के अनुसार अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी। परन्तु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए गए थे।

जिसमे उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओ को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे। अगर नही ले जाते है तो सम्बंधित नगर निगम, नगर पालिका व अन्य को फण्ड देंगे जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें। परन्तु उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए है और इसका निस्तारण भी नही किया जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तिथि तय की गई है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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