
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में गंगा माता कुष्ठ आश्रम में रोगियो के पक्के आवासों को 17 नवम्बर 2018 को राष्ट्रपति के दौरे में तोड़ने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करी। हुए। पूर्व के आदेश पर आज डी.जी.हैल्थ न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुईं। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोगियों के आवास बनाने के लिए बजट स्वीकृत हो गया है और दो माह के भीतर निर्माण कार्य प्रारम्भ हो जाएगा। उनके इस कथन से सन्तुष्ट होकर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 31अक्टूबर को रखी है।
मामले के अनुसार देहरादून की ‘एक्ट नाव वेलफेयर सोसायटी’ ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि 17 नवम्बर 2018 को राष्ट्रपति के हरिद्वार आगमन पर गंगा माता कुष्ठ रोगियो के पक्के आवासो को प्रशासन ने तोड़ दिया, ताकि राष्ट्रपति उनको न देख सके। उनके लिए ये पक्के आवास इंग्लैंड की एस.एन.जे.ट्रस्ट ने 20 लाख रूपये की लागत से बनाये थे।
इसके बाद से ये कुष्ठ रोगी जाड़ा बरसात और गर्मी में सड़क के किनारे झोपडी बनाकर रह रहे हैं और सरकार ने अभी तक इनकी रहने की कोई व्यव्स्था नही की है। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से तालुक रखते हैं और उनकी इस समस्या को न्यायालय प्राथमिकता से सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके कल्याण के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए थे जिनपर अभी तक अमल नहीं हुआ है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती


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