उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कालाढूंगी और बाजपुर के बीच पेड़ों के अवैध कटान पर स्वतः संज्ञान संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आज पूर्व के अपने आदेश का पालन नहीं करने पर सचिव वन से पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाय।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने आगामी 21 दिसम्बर को इस बात से अवगत कराने को कहा है। उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर पूर्व में सचिव वन को आदेश देकर पूछा था कि केंद्र सरकार का वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत किन लोगों को इसका लाभ दिया जा सकता है या किसको नहीं दिया जा सकता है इसे चार सप्ताह में शपथपत्र के माध्यम से बताएं। लेकिन अधिकारी ने अभी तक इसपर कोई जानकारी नहीं दी है। दिए गए शपथपत्र में लकड़ी चुगान करने वालों के चालान की संख्या बताई गई है।
मामले के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने दिल्ली जाते समय कालाढूंगी और बाजपुर के बीच पेड़ो के अवैध कटान देखा और उसका स्वतः संज्ञान लिया। मामले की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए सम्बंधित क्षेत्र के डी.एफ.ओ.व अन्य अधिकारियों को न्यायालय में तलब किया गया था।
न्यायालय ने डी.एफ.ओ.से पूछा था कि इन लोगों को लकड़ी चुगान के लिए किस नियम के अंतर्गत अधिकार दिया गया है ? अभी तक कितने लोगों का चालान किया गया। इस सम्बंध में अपना ओरिजनल रिकार्ड न्यायालय में पेश करें। लेकिन विभाग ने ओरिजनल रिकार्ड पेश नहीं किया।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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