बड़ी खबर ( उत्तराखंड ) : डीजी हेल्थ डॉ तृप्ति बहुगुणा ने बताया कैसा है प्रदेश में मिला कोविड डेल्टा प्लस वेरिएंट…घातक है या नही

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड : डेल्टा प्लस के मामले मिलने के बाद लोगों में डर का माहौल बना हुआ है ऐसे में कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा कहा कि राज्य में कोरोना वायरस के स्वरूप में हो रहे निरंतर परिवर्तन को लेकर पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही है।

अलग-अलग इलाकों में जाकर सैंपलिंग के माध्यम से वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग का कार्य किया जा रहा है। स्वास्थ्य ने कहा कि कोविड-19 वायरस का निरंतर स्वरूप को बदलते रहना इसकी अंतर्निहित प्रवृति है। जिसके कारण वायरस के स्वरूप में परिवर्तन से नये उप वंश बनते रहते हैं।

वायरस के इन नए उप वंशों का प्रभाव मूल वायरस से कम भी हो सकता है और अधिक घातक भी हो सकता है।उन्होंने बताया कि पिछले दिनों ऊधमसिंह नगर जिले में एवाई.1 यानी डेल्टा प्लस उप वंश दो मरीजों के सैंपल में पाया गया था।

इन दोनों मरीजों में कोविड के हल्के लक्षण पाए गए थे। भारत सरकार के जिनोम सीक्वेंसिंग लैबोरेटरी टेस्टिंग नेटवर्क के अंतर्गत देखा गया है कि डेल्टा प्लस बहुत ही कम सैंपल मे पाया गया है। जिससे यह प्रतीत होता है की डेल्टा प्लस उप वंश अधिक संक्रामक नहीं है और इसके ज्यादा घातक होने के भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं

आइडीएसपी के प्रभारी अधिकारी डा. पंकज सिंह ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए 42 सैंपलों में एवाई.4 व एवाई.12 म्यूटेशन मिला है। इनसे प्रभावित मरीजों में से अधिकांश में कोविड के हल्के लक्षण थे और वह ठीक हो गए हैं। इससे साफ होता है कि वायरस के ये दोनों उप वंश भी हल्के प्रभाव वाले हैं।

अन्य राज्यों में भी इनके घातक होने के मामले सामने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि सभी उप वंशों की सक्रिय निगरानी की जा रही है और जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए निरंतर सैंपल दिल्ली भेजे जा रहे हैं।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *