ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कूड़ा निस्तारण संबंधी एक पी.आई.एल.में प्रदेश के सारे न्यायालयों में आगामी रविवार को स्वच्छता अभियान चलाने के साथ ही उस कहावत को भी साक्षात कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि” चैरिटी बीगंस एट होम” यानी दान घर से ही शुरू होता है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मंनोज तिवारी की खंडपीठ ने 18 जून रविवार को पूरे प्रदेश की न्यायपालिका जिसमें उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय और मजिस्ट्रेट न्यायालय तक सभी न्यायाधीश और कर्मचारी पूरे प्रदेश में स्वच्छता अभियान चलाएंगे। ये भी ओह गया कि राज्य सरकार ने भी इसमें सहयोग देने के लिए कहा है।
इसके अलावा भी न्यायालय ने
राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह केदारनाथ रुट की तरह ही पूरे राज्य में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग वाले सामानों पर क्यूआर कोड लगवाकर डिजिटल डिपाजिट सिस्टम के तहत उन पैकेजिंग और बोतलों को वापस करने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि न्यायालय के आधार पर वापस करें।
इसके लिए न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि यह क्यूआर कोड निर्माता के स्तर पर ही लगवाने के लिए राज्य सरकार आदेश निकालें ताकि उत्तराखंड में आने वाले प्लास्टिक पैकेजिंग के प्रोडक्ट पर पूर्व से ही क्यूआर कोड लगा हो और जिसे मैटीरियल रिकवरी सेंटर में दिखाने और पैकेजिंग बोतल वापस करने पर उसकी प्रोत्साहन धनराशि वापस की जा सके।
मामले के अनुसार आज न्यायालय में जितेंद्र यादव बनाम केंद्र सरकार मामले में सुनवाई हुई। जितेंद्र ने न्यायालय को बताया था कि प्रदेश सरकार कूड़ा निस्तारित करने में असफल है। साथ ही चारधाम मार्गों में प्लास्टिक से गंभीर परेशानियां बढ़ते जा रही हैं। इसपर न्यायालय ने राज्य सरकार से आख्या मांगी थी। आज न्यायालय ने लैंडमार्क निर्णय देते हुए सभी न्यायालयों में जजों की देखरेख में स्वच्छता अभियान के साथ क्यों आर कोड की अनिवार्यता कर कूड़े से निजाद दिलाने के रास्ते में एक बड़ा कदम उठाया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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