उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कौशल विकास योजना के तहत कोरोना काल में हुए हुए 70 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में प्रदेश सरकार से सभी रिकार्ड उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से घोटाले में शामिल निजी कंपनियों और एन.जी.ओ. को पक्षकार बनाने को कहा है। मामले की सुनवाई 15 अप्रैल 2024 की तिथि तय की है।
मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी एहतेशाम हुसैन खान उर्फ विक्की खान व अन्य की तरफ से उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा गया कि उत्तराखंड में केन्द्र सरकार के सहायतित कौशल विकास योजना में कोविड महामारी के दौरान गड़बड़ी की गयी।
कोरोना काल के दौरान जब सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगी थी, उस अवधि में प्रशिक्षण के नाम पर लगभग 70 करोड़ की धनराशि हड़प ली गयी। प्रदेश सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। जबकि इस घोटाले में अधिकारी सहित करीब 27 एन.जी.ओ.भी शामिल हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में चल रही कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर कई अनियमितताएं बरती गई और अकेले कोरोना काल में प्रदेश के 55 हजार छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कराकर उन्हें नौकरी तक आवंटित कर दी। जिन छात्रों के आधारकार्ड लगाए गए हैं वह पूरी तरह फर्जी हैं। इस पूरे फर्जीवाड़े में केंद्र सरकार की योजना को 70 करोड़ का चूना लगा दिया गया है। जबकि कोरोना के समय ये प्रशिक्षण कराया जाना असम्भव था। जनहित याचिका में इसकी जांच सी.बी.आई.से कराए जाने की मांग की गई है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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