उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई के बाद जिलाधिकारी नैनीताल से भूस्खलन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के साथ ट्रीटमेंट के लिए अबतक किए कारीयों का दस दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है।
न्यायालय के पूर्व के आदेश का पालन नहीं करते हुए जिला प्रसाशन ने अभीतक रिपोर्ट पेश नही की है। सरकार की तरफ से, रिपोर्ट पेश करने के लिए समय की मांग गया। खंडपीठ ने उन्हें दस दिन का समय दिया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया की सरकार इस मामले में लापरवाही कर रही है।
भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का अभी तक कई बार मंत्रियों, अधिकारियों ने निरीक्षण किया लेकिन भू धसाव को रोकने का कोई उपाय नहीं किया।
मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून की वर्ष 2018 में दाखिल जनहित याचिकाकी सजनवाई की। उन्होंने कहा कि नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल और इसके आसपास रह रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है।
नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमे हो रहे भूस्खलन रोकथाम के उपाय नाकाफी हैं। भूस्खलन रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाना जरूरी है, तांकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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