हल्द्वानी: रेलवे मामले में हाईकोर्ट से नहीं मिली कोई राहत,जानिये कब होगी अगली सुनवाई ..

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नैनीताल – उत्तराखंड उच्च न्यायालय में हल्द्वानी की रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने से जुड़ी कुछ याचिकाओं पर सुनवाई से पहले खंडपीठ ने कहा कि इन याचिकाओं की मूल याचिका में निर्णय लंबित है, और इन्हें उसके आने के बाद ही सुना जाएगा ।

समाजसेवी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका को सुरक्षित रखने के दौरान कुछ लोग पुनर्वास और ध्वस्तीकरण के खिलाफ उच्च न्यायालय में इनटरवेंशन एप्लिकेशन लेकर पहुंचे थे । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खंडपीठ ने बीती 27 अप्रैल को याची से मुख्य पी.आई.एल.का निर्णय आने के बाद सुनवाई की बात कही थी । आज तक रविशंकर जोशी की जनहित याचिका में निर्णय नहीं हो सका है । इनटरवेंशन याचिका में, अतिक्रमण हटाओ अभियान से प्रभावित कुछ लोग ये कहते हुए उच्च न्यायालय आए थे की उनके आवास बिना नियमों के हटाए जा रहे हैं । इसके अलावा कुछ लोगों ने न्यायालय से विस्थापन की मांग भी करते हुए याचिका दायर की है । न्यायालय ने इसपर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है, बल्कि मूल याचिका के निस्तारित होने के बाद ही इसपर सुनवाई करने की बात कही है । इस पर क्या कार्रवाई करती है ?

उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की, लेकिन याचियों को फिलवक्त कोई राहत नहीं दी।

कहा कि इन मामलों में पहले से दूसरी पीठ में चल रही रविशंकर जोशी की मुख्य जनहित याचिका पर निर्णय आने के बाद 15 जून को सुनवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि बीते माह 27 अप्रैल को भी इस मामले में दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी और न्यायालय ने तब भी याचियों को कोई राहत नहीं दी। अलबत्ता आज मामले की सुनवाई के दौरान अतिक्रमणकारियों के न्यायालय आने की संभावना से भारी संख्या में पुलिस बल भी न्यायालय में मुस्तैद रहा।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व उच्च न्यायालय में 27 अप्रैल को मदरसा गौसे गरीब नवाज रहमतुल्लाह के संरक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी ने विशेष अपील दायर कर कहा है कि उनको रेलवे बिना नोटिस जारी किए हटा रहा है। उनको कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जा रहा है, जब तक उन्हें कहीं अन्य जगह नहीं बसाया जाता, तब तक उन्हें नहीं हटाया जाए। पूर्व में एकलपीठ ने उनकी याचिका को यह कहकर निरस्त कर दिया था कि इस मामले में पहले से ही आदेश हुए है। यह भी कहा कि इस मामले में रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है। इसके अलावा एक अन्य याचिका में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का सीमांकन नहीं किया है। बिना सीमाकन के उन्हें हटाया जा रहा है।
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत व रेलवे के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने न्यायालय को बताया कि रेलवे ने न्यायालय के आदेश के बाद सीमांकन कर लिया है, और अतिक्रमण को हटाने के लिए 30 दिन की योजना न्यायालय में पेश कर दी है। इस पर न्यायालय ने कहा कि रविशंकर जोशी की याचिका पर दूसरी पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा है। फैसला आने के बाद 15 जून को सुनवाई की जाएगी।


दूसरे मायने में देखें तो उच्च न्यायालय ने राहत देने से साफ इंकार कर दिया है। साफ तौर पर कहा जाए तो अब गेंद पूरी तरह से प्रशासन के पाले में है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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