उत्तराखंड में नैनीताल की जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजाता सिंह ने आत्महत्या का दुश्प्रेरण आरोपी पति त्रिभुवन सिंह को 7 साल का सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये का अर्थदण्ड और अर्थदण्ड जमा ना करने पर 6 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा सुनायी। न्यायालय ने हल्द्वानी निवासी पति त्रिभुवन को पत्नी ललिता नेगी का बच्चा ना होने के कारण मारपीट और परेशान कर आत्महत्या के लिए मजबूर करने के अरोप में सजा सुनाई है।
अल्मोड़ा निवासी मृतका के भाई मोहन सिंह नेगी ने 23 जुलाई 2020 को हल्द्वानी थाने में रिपोर्ट दर्ज कर कहा था कि ललिता का विवाह त्रिभुवन के साथ वर्ष 2012 में हुआ था। बहिन ने अपनी माँ पनुली देवी को फोन कर रोते हुए बताया कि उसका पति शराब पीकर उसे बच्चा ना होने के कारण ताना देते हुए मारपीट कर धमकी देता है कि यदि बच्चा न हुआ तो उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देगा।
लोक लाज के कारण परिवार ने इस बात की शिकायत पुलिस से नहीं की। अभियुक्त त्रिभुवन के मृतका को प्रताडित करने के कारण घटना से लगभग एक डेढ़ वर्ष पूर्व मायके आ गयी थी। तब भी मृतका ने अपने भाई मोहन और भाभी बीना नेगी व परिवार वालों को बताया था कि बच्चा ना होने के कारण पति आये दिन उसके साथ मारपीट करता है।
मृतका के मायके आने के कुछ दिन बाद त्रिभुवन उनके घर आया और लिखित रूप से माफी मांगने लगा। इसके बाद ललिता को पति के साथ ससुराल भेज दिया गया। हल्द्वानी स्थित किराये के मकान में भी आरोपी मृतका को बच्चा पैदा ना करने के कारण शराब पीकर मारने और कोसने लगा। मोहन को 22 जुलाई 2020 को टेलीफोन से सूचना मिली कि हल्द्वानी में आरोपी के कमरे में मृतका ललिता ने आत्महत्या कर ली है। कमरे से मिले सुसाईट नोट में भी मृतका ने आत्महत्या का दोषी अपने पति त्रिभुवन को माना था।मामले में पीडित पक्ष की ओर से पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता(फौजदारी)सुशील कुमार शर्मा ने की और मामले में मुख्य साक्षी मृतका के भाई मोहन, भाभी बीना व अन्य गवाहों के आधार पर अभियोजन तथ्यों को साबित कराया गया।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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