हल्द्वानी : मजदूर विरोधी कर श्रम कोड के खिलाफ 23 सितंबर को काला दिवस

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हल्द्वानी :ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) समेत दस राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त आह्वान पर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के खिलाफ 23 सितंबर के राष्ट्रीय काला दिवस पर ऐक्टू से जुड़ी ट्रेड यूनियनों और भाकपा माले द्वारा धरना प्रदर्शन करते हुए बुद्ध पार्क हल्द्वानी में काला दिवस मनाया जायेगा।

भाकपा (माले) के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने बताया कि, मोदी सरकार द्वारा पारित चार लेबर कोड से लंबे संघर्ष से हासिल मजदूरों के अधिकार खत्म हो जाएंगे। ये मजदूरों को एक नई गुलामी की ओर धकेलने की कोशिश है।

इन चार लेबर कोड के माध्यम से मोदी सरकार मजदूरों के संघर्ष के बल पर हासिल श्रम कानूनों को खत्म करने पर आमादा है, जिसके कारण यूनियन बनाने के बुनियादी अधिकार से लेकर आठ घंटे कार्यदिवस का अधिकार, शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने का अधिकार, समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार, अपनी वैधानिक मांगों को लेकर मांग पत्र, हड़ताल या धरना प्रदर्शन का अधिकार सब किनारे कर दिए जायेंगे।

जिससे बड़े पूंजीपति कॉरपोरेट घरानों के लिए मजदूर शोषण का रास्ता आसान हो जायेगा। स्पष्ट है कि, अपने चहेते कॉरपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए ही मोदी सरकार ये काले श्रम कोड मजदूरों पर थोपना चाहती है।

उन्होंने कहा कि, लेबर कोड लागू होने से सबसे अधिक मार असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता जैसी महिला कामगारों, ठेका, संविदा, मानदेय, पारिश्रमिक कर्मियों पर पड़ना तय है। पहले ही आर्थिक संकट से त्रस्त असंगठित कामगारों के हिस्से पर ये लेबर कोड आपदा से कम नहीं हैं।

माले जिला सचिव ने आह्वान किया कि, श्रम अधिकारों को बचाने और लेबर कोड की वापसी के लिए 23 सितम्बर को मजदूरों के समर्थन में सारी ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों द्वारा आहूत देशव्यापी काला दिवस सफल बनाते हुए इस मजदूर विरोधी सरकार को पीछे धकेल देने का काम आज मजदूर वर्ग और सभी लोकतांत्रिक प्रगतिशील संगठनों व लोगों का जरूरी कार्यभार है। अतः सभी 23 सितंबर के इस काला दिवस कार्यक्रम में शामिल हों।

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