उत्तराखंड में कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी के एम.बी.पी.जी.डिग्री कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में ए.बी.वी.पी.से टिकट नहीं मिलने से नाराज छात्रा के निर्दलीय प्रतिभाग करने से अध्यक्ष पद का चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। जीत को लेकर निर्दलीय प्रत्याशी रश्मि लमगड़िया, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(ए.बी.वी.पी.)और नैशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया(एन.एस.यू.आई.)के प्रत्याशियों के अपने अपने तर्क और दावे हैं।
हल्द्वानी के एम.बी.पी.जी.डिग्री कॉलेज में चुनाव की तिथि तय होते ही चुनावी माहौल गर्मा गया है। अमूमन दो प्रमुख छात्र संगठनों के बीच होने वाले चुनाव में एक ट्विस्ट तब आ गया जब ए.बी.वी.पी.ने छात्रा को छोड़ सिंबल एक छात्र को दे दिया, इससे नाराज छात्रा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन करा आई। अब ए.बी.वी.पी., एन.एस.यू.आई.और उस प्रबल छात्रा प्रत्याशी के बीच मुकाबला लगभग तय है।
हमने तीनों प्रत्याशियों के विचार और जीत को लेकर किये जा रहे दावों के बारे में जाना। सबसे पहले अध्यक्ष पद की छात्रा प्रत्याशी रश्मि लमगड़िया से बात की तो उनका दर्द छलक गया। उन्होंने कॉलेज के छात्र छात्राओं से कहा कि उनके साथ आज कोई संगठन नहीं है, कहा कि उनके साथ जो टिकट काटने का आधी रात को अन्याय हुआ है उसका जवाब देना है। रश्मि ने आरोप लगाया कि ए.बी.वी.पी.ने टिकट ऐसे छात्र को दे दिया जो महज एक वर्ष पहले ही संगठन में आया है।
उन्होंने कहा कि इस परिसर में 30 प्रतिशत महिला आरक्षण की बात कही जाती है, लेकिन उन्हें एक प्रत्याशी के समर्थकों ने भद्दी भद्दी गालियां दी। उन्होंने ये भी कहा की उन्हें झांसी की रानी बनने से भी रोका गया है। रश्मि ने चुनाव के परिणामों के बाद छात्र शक्ति के इशारों पर काम करने की बात कही।
इसके बाद ए.बी.वी.पी.प्रत्याशी कौशल बिरखानी से उनकी प्राथमिकताओं के बारे में जाना तो उन्होंने बताया कि वो कॉलेज के चुनावी मुद्दों और महिला सशक्तिकरण व महिला सुरक्षा ऐप को लेकर छात्राओं के वोटों से बढ़त लेना चाहते हैं। टिकट फाइनल होने के बाद प्रसन्न मुद्रा में दिखे कौशल ने बताया कि वो अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और अपने साथियों के साथ सलाह मशविरा करके आगे की रणनीति बनाएंगे। कौशल ने ये भी बताया कि वो अपनी पुरानी साथी रश्मि के साथ वार्ता कर उन्हें अपने समर्थन में लाने का प्रयास करेंगे।
अंत में जब हमने नामांकन कर लौटे एन.एस.यू.आई.प्रत्याशी सूरज भट्ट से बात की तो उन्होंने चुनाव में किसी से भी फाइट होने से ईनकार किया। उन्होंने कहा कि ए.बी.वी.पी.में बहुत कमियां हैं, उन्हें काम करना नहीं आता है और छात्र उनसे नाराज हैं। सूरज ने कहा कि ए.बी.वी.पी.के नेताओं में छात्रहितों में काम करने का कम भाव था इसलिए उन्होंने पाला बदला। संगठन में पूर्व प्रत्याशी को प्रलोभन देकर बैठाने और खुद चुनाव लड़ने के आरोपों को नकारते हुए सूरज ने कहा कि वो सामान्य परिवार से हैं और ऐसा करना उनके बस में नहीं है। उन्होंने कहा कि पुराने प्रत्याशी को तालमेल के तहत बैठाकर वो खुद चुनाव मैदान में उतरे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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