ग्रीन सिटी हल्द्वानी की साख़ में गिरावट,चमका लालकुआं..

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लालकुआं ने रचा इतिहास

हल्द्वानी – ‘ग्रीन सिटी’ के नाम से पहचाने जाने वाले कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट एक चेतावनी की घंटी साबित हुई है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जारी इस सर्वेक्षण में हल्द्वानी नगर निगम की रैंक देशभर में 291वीं रही, जबकि पिछले साल यह 211वें स्थान पर था। यह गिरावट न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी देखने को मिली, जहां हल्द्वानी की रैंकिंग 6वें से गिरकर 14वें स्थान पर पहुँच गई।

स्वच्छता में फिसलता हल्द्वानी: आंकड़े कर रहे हैं सवाल

पिछले पांच वर्षों की रैंकिंग पर नज़र डालें तो गिरावट की रफ्तार स्पष्ट नज़र आती है।

2020-21: 229वीं रैंक
2021-22 : 281वीं रैंक
2022-23 : 282वीं रैंक
2023-24 : 211वीं रैंक (थोड़ा सुधार)
2024-25 : 291वीं रैंक (गंभीर गिरावट)

राज्य स्तर पर भी प्रदर्शन निराशाजनक रहा। वर्ष 2019 में हल्द्वानी तीसरे स्थान पर था, लेकिन आज यह प्रदेश में 14वें स्थान पर पहुँच गया है।

समस्याओं की जड़ – अधूरी सुविधाएं

हल्द्वानी नगर निगम के 60 वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग कूड़ा नालियों और सार्वजनिक स्थानों में फेंकते हैं। निगम ने CCTV कैमरे और चालान की व्यवस्था लागू की है, लेकिन इसके बावजूद जागरूकता की भारी कमी बनी हुई है।

सीवर लाइन का अभाव भी स्वच्छता में बड़ी बाधा बनकर सामने आया। कई वार्डों में अब तक सीवर लाइनें नहीं बिछी हैं, जिससे सर्वेक्षण के अंक सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। ट्रंचिंग ग्राउंड पर जमा कूड़े का विशाल ढेर नगर निगम की व्यवस्था की पोल खोलता है।

इसके अलावा, लीगेसी वेस्ट प्लांट और मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) की अनुपस्थिति से हल्द्वानी को सर्वेक्षण में मिलने वाले 1500 अंक सीधे तौर पर खोने पड़े। नगर आयुक्त ऋचा सिंह ने सफाई दी कि “लीगेसी प्लांट मई में शुरू हुआ है और MRF सेंटर की टेंडर प्रक्रिया प्रगति पर है। आने वाले वर्षों में इन खामियों को दूर कर रैंक सुधारने की कोशिश की जाएगी।”

लालकुआं की सफलता: MRF सेंटर बना परिवर्तन की सीढ़ी

जहां एक ओर हल्द्वानी पिछड़ता गया, वहीं जिले की ही लालकुआं नगर पंचायत ने इतिहास रच दिया। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में प्रदेश स्तर पर पहला स्थान प्राप्त कर लालकुआं ने उत्तराखंड के अन्य निकायों के लिए एक आदर्श मिसाल पेश की है।

सफलता के सूत्र: ठोस योजनाएं और जनभागीदारी

लालकुआं ने कचरे के निस्तारण के लिए मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) सेंटर की स्थापना की, जिससे पहले बरेली रोड के 60 गांवों का कूड़ा हल्द्वानी भेजा जाता था। अब स्थानीय स्तर पर ही कचरा प्रबंधन संभव हो गया है। इसके अतिरिक्त वाटर हार्वेस्टिंग, जन सहभागिता, और सफाई को लेकर सामुदायिक जागरूकता अभियानों ने निर्णायक भूमिका निभाई।

पूर्व प्रशासक परितोष वर्मा, ईओ राहुल कुमार सिंह और चुनाव के बाद नवगठित बोर्ड ने मिलकर इस जनांदोलन को आकार दिया। परिणामस्वरूप विज्ञान भवन, दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नगर पंचायत लालकुआं को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।

नैनीताल, भीमताल और रामनगर: मिश्रित प्रदर्शन

नैनीताल – पर्यटन नगरी के लिए स्वच्छता में गिरती रैंकिंग बड़ी चिंता है। इस बार नैनीताल को प्रदेश में 45वां और देश में 1029वां स्थान मिला। 2020 में यह प्रदेश में पहले स्थान पर था। पालिका में अधिकारियों की कमी और निजी एजेंसी के साथ विवाद इसके प्रमुख कारण रहे।

भीमताल उम्मीद की किरण – प्रदेश में छठा स्थान और ODF+++ प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ। नगर पालिकाध्यक्ष सीमा टम्टा ने इसे स्थानीय लोगों की जागरूकता और प्रभावी पालिका प्रबंधन का परिणाम बताया।

रामनगर – पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा सुधार हुआ है। इस बार राज्य में 15वां स्थान और देश में 295वीं रैंक मिली है। पहले रामनगर 2020 और 2021 में शीर्ष स्थान पर था।

अन्य नगरों की स्थिति

देहरादून नगर निगम – देश में 62वीं रैंक
हरिद्वार – 363वीं रैंक
अल्मोड़ा – 907वीं रैंक
कोटद्वार – 232वीं रैंक
पिथौरागढ़ – 177वीं रैंक
हरबर्टपुर – 53वीं रैंक (ओडीएफ स्थिति अब भी लंबित)

स्वच्छता रैंकिंग के मानक क्या हैं?

स्वच्छता सर्वेक्षण में चार मुख्य बिंदुओं पर मूल्यांकन किया जाता है:

भौतिक सफाई कार्यों की प्रगति – शौचालयों की उपलब्धता, कचरा संग्रहण व प्रोसेसिंग, जमीनी कार्य।

नागरिक संतुष्टि – सफाई को लेकर नागरिकों की प्रतिक्रिया, शिकायत समाधान की गुणवत्ता।

स्वतंत्र संस्था द्वारा सत्यापन – कॉल, फील्ड विजिट, और दस्तावेज़ी सत्यापन।

प्रमुख बुनियादी ढांचे की उपस्थिति – MRF, लीगेसी वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट आदि।

अब भी समय है, हल्द्वानी संभल सकता है

हल्द्वानी का यह हाल है जबकि यहां कुमाऊं के आला अधिकारियों का बेड़ा मौजूद है। स्थितियां बद से बदतर होने में आम जनता की भागीदारी के अलावा अफसरों की निष्क्रियता और सुस्त कार्यशैली का भी अहम रोल है।

हल्द्वानी की गिरती स्वच्छता रैंकिंग इशारा है कि केवल दावा और प्रचार से शहर साफ नहीं बनता। आवश्यकता है व्यवहारिक सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास और सबसे महत्वपूर्ण है नागरिकों की भागीदारी।

जैसे लालकुआं ने दिखाया कि सीमित संसाधनों में भी स्वच्छता में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है, उसी प्रकार हल्द्वानी भी ठोस योजना और सक्रिय क्रियान्वयन के साथ अपनी छवि को फिर से संवार सकता है।

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