किसान केंद्र सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के लिए लेकर शम्भू बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं. किसानों की मांगों का समाधान निकालने के लिए केंद्रीय मंत्री किसान संगठनों के साथ चार मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन मामले पर अभी गतिरोध बरकरार है. किसानों ने केंद्र सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. संगठनों का दावा है कि केंद्र के प्रस्ताव में कुछ नजर नहीं आ रहा है।
किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों का दावा है कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है उससे किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि बाकी फसलों को गारंटीड एमएसपी के दायरे से बाहर रखना उचित नहीं है. सरकार जो आर्थिक बोझ का दावा करती है, वो सही नहीं है।किसानों का नेतृत्व करने वाले दोनों संगठनों ने प्रपोजल को रद्द करते हुए कहा है कि सरकार की नीयत में खोट है. सरकार पूरे देश की 23 फसलों पर MSP गारंटी कानून लागू करे और बताए कि कर्ज माफी पर क्या किया जा रहा है. किसानों की मांगों को लेकर सरकार बिल्कुल गंभीर नहीं है।
पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर किसान (Farmers protest) डटे हुए हैं. इस बीच 19 फरवरी की शाम किसान नेताओं की एक अहम बैठक हुई. बैठक में किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है. अब किसानों की तैयारी 21 फरवरी को दिल्ली की तरफ आगे बढ़ने की है. किसान के प्रदर्शन को देखते हुए चंडीगढ़ में इंटरनेट पर पाबंदी बढ़ा दी गई है. अब 20 फरवरी रात 12 बजे तक इंटरनेट पर बंद रहेगा।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डल्लेवाल ने बताया,
“हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर MSP का फॉर्मूला तय करे. सरकार के प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला है.”
डल्लेवाल ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में किसी भी तरह की स्पष्टता नहीं है. सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, उसका नाप-तौल किया जाए तो उसमें कुछ नजर नहीं आ रहा है. उनके मुताबिक, सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपए का Palm Oil खरीदती है लेकिन अगर इतनी धनराशि खेती के लिए, तिलहन के लिए तय की जाती तो किसानों को इससे बहुत फायदा होता।
डल्लेवाल ने कहा कि सरकार से हमारी अपील है कि या तो हमारी मांगे मानी जाएं या फिर हमें शांति से दिल्ली में बैठने की मंजूर दी जाए. डल्लेवाल ने ये भी कहा कि किसान भाइयों से हमारी अपील है कि वो हिंसा ना करें।
वहीं, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि किसान 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे. सरकार से आगे फिलहाल कोई मीटिंग नहीं होगी. लेकिन हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
किसानों को क्या प्रस्ताव दिया गया?
किसान नेताओं के साथ चंडीगढ़ में बैठक करने वाले तीन केंद्रीय मंत्रियों के पैनल में शामिल पीयूष गोयल ने मामले पर जानकारी दी है।
MSP पर दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद के लिए पांच साल की योजना का प्रस्ताव रखा गया है.
सहकारी समितियां उन किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करेंगी जो अरहर दाल, उड़द दाल, मसूर दाल या मक्का उगाते हैं. अगले पांच सालों तक उनकी फसल MSP पर खरीदी जाएगी।
खरीदी गई मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी।
इस काम के लिए एक पोर्टल विकसित किया जाएगा।
पीयूष गोयल ने कहा कि ये कदम पंजाब की खेती को बचाएगा, भूजल स्तर में सुधार करेगा और उस जमीन को बंजर होने से बचाएगा जो पहले से ठीक नहीं है।
भारतीय कपास निगम CCI एक कानूनी समझौते के जरिए पांच साल तक किसानों से MSP पर कपास खरीदेगा।
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