भारतीय वैज्ञानिको का दावा घोड़े और गेंडे की उत्पत्ति करोड़ो साल पहले हुई थी भारत में..
देहरादून 10.November.2020 GKM NEWS विज्ञान लगातार अपने पैर पसर रहा है..जिन चीजों ने इन्सान अनजान था..विज्ञान लगातार उन चीजों को लोगो को रूबरू करा रहा है..विज्ञान ने इन्सान की सोच को बदल दिया है..हर एक दिन कही न कही विज्ञान नई-नई खोज में लगा रहता है और कही नई नई खोज करता है-अब कुछ ऐसा ही भारत के वैज्ञानिकों ने दावा करा है.. देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, अमेरिका के हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और बेल्जियम के रॉयल बेल्जियम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने कहा है कि घोड़े, गैंडों और टॉपिर जैसे जीवों की उत्पत्ति भारत में हुई है…
दुनिया में घोड़े, गैंडों जैसे खुर वाले स्तनधारी जीवों की उत्पत्ति भारत की धरती पर हुई। इस बात का खुलासा देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, अमेरिका के हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और बेल्जियम के रॉयल बेल्जियम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम के अध्ययन में हुआ है।वैज्ञानिको का कहना है कि
जीवाश्मों के अध्ययन से आज से करीब साढ़े पांच करोड़ साल पहले गुजरात के अलावा देश के दूसरे इलाकों में घोड़े, गैंडों और टॉपिर जैसे जीवों की उत्पत्ति की बात सामने आई है.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व भूगर्भ विज्ञानी डॉ. किशोर कुमार के मुताबिक गुजरात के सूरत जिले में तारकेश्वर व आसपास के इलाकों में लिग्नाइट की खदानों में 350 से अधिक जीवाश्मों को इकट्ठा करने के बाद अध्ययन किया गया।
अध्ययन में उस समय पाए जाने वाले जीवों के दातों, खोपड़ी, हड्डियों को शामिल किया गया। शोध में यह बात सामने आई है कि साढ़े पांच करोड़ साल पहले खुर वाले स्तनधारी इन इलाकों में रहते थे और वे जीव मध्यम गति से दौड़ लगाने में सक्षम थे।
…तो बिल्ली के आकार के थे घोड़ों, गैंडों के पूर्वज
डॉ. किशोर कुमार के मुताबिक जीवाश्मों के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि वर्तमान में जो गैंडे और घोड़े भारी भरकम आकार के दिखाई दे रहे हैं उनके पूर्वज बिल्ली के आकार के थे। जो समय के साथ आकार में बदलते गए। वर्तमान में घोड़ों और गधों के खुर पाए जाते हैं वैसे ही कैंबेथेरियम के भी खुर पाए जाते थे।।
कैंबे खाड़ी के नाम पर कैंबेथेरियम का नामकरण घोड़े, गैंडों के इन पूर्वजों के जीवाश्म कैंबे खाड़ी के आसपास पाए गए हैं। ऐसे में इन चीजों का नाम कैंबे थेरियम रखा गया है। जहां पर कैंबेथेरियम के जीवाश्म पाए गए हैं वहां कभी मीठे पानी की बड़ी झील हुआ करती थी जिसकी वजह से इन चीजों के जीवाश्म करोड़ों साल तक सुरक्षित रहे।
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