उत्तराखंड में नैनीताल के मल्लीताल फ्लैट्स मैदान में खड़े होकर हिन्दू धर्म के अनुयायियों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में युवती स्मृति नेगी को उत्तराखंड उच्च न्यायालय से राहत मिल गई है।
न्यायालय ने मल्लीताल कोतवाली से पूछा है कि उन्होंने किस आधारपर युवती के खिलाफ आई.पी.सी.की धारा 153ए और 295 ए किस आधार पर लगाई है ? न्यायालय ने युवती के खिलाफ चल रही जांच पर भी तत्काल रोक लगाने को कहा है।
स्मृति के अधिवक्ता ने न्यायालय से कहा है कि वो इसी धर्म से है और इससे आहत हुई है। उसके स्पीच ऑफ एक्सप्रेशन को संवैधानिक अधिकार होने से नहीं नकारा जा सकता है। कोटद्वार निवासी स्मृति नेगी के इस ब्लॉग को हिंदुओं का अपमान बताते हुए हिंदूवादी संगठनों ने मल्लीताल कोतवाली में धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में एफ.आई.आर.दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने स्मृति नेगी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये थे ।
पुलिस की इस कार्यवाही को स्मृति नेगी ने उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर.निरस्त करने की मांग की थी । जिसकी सुनवाई मंगलवार को न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई । सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पुलिस की कार्यवाही पर मौखिक रूप से कड़ी फटकार लगाई और इस एफ.आई.आर.की जांच पर रोक लगाते हुए पुलिस से जबाव देने को कहा है।
इस आधार पर युवती को हिरासत या गिरफ्तारी जैसी कोई भी समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। मामले में अगली सुनवाई 12 मई को होगी।
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