सियासत के रणनीतिकार के चले-जाने के बाद.. क्या इस झटके से उभर पायगी कांग्रेस ? अब कौन मनाएगा रूठो को..

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नई दिल्ली 27.November 2020 GKM NEWS SULEMAN KHAN (आलेख) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद अहमद पटेल का 25 नवम्बर को गुडगाव के मेदांता हॉस्पिटल में निधन हो गया था..अहमद पटेल शुरू से गाँधी परिवार के काफी करीबी माने जाते थे..इसके साथ ही पटेल की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओ में होती थी..अहमद पटेल एकमात्र कांग्रेसी नेता थे जिन्हें कांग्रेस पार्टी का चाणक्य कहा जाता था..जो एकदम से सियासी बदलाव कर दिया करते थे..एक उधारण गुजरात राज्य सभा चुनाव है..जहा बीजेपी ने तमाम कोशिश के भी कांग्रेस ने यह चुनाव जीता था..यहाँ तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जिन्हें बीजेपी का चाणक्य कहा जाता है उनकी नीति भी काम न आई..

इसके साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की योजना इस राज्य सभा चुनाव में काम नही आई थी..वो अहमद पटेल ही थे जिन्होंने रात में ही चुनाव पलट दिया था..और बीजेपी की सभी कोशिशो पर पानी फैर दिया था..बीजेपी की सारी योजनाये गुजरात राज्य सभा चुनाव में अहमद पटेल ने बदल दी थी..अहमद पटेल अपने राजनीती जीवन में कई बार लोकसभा सांसद और राज्य सभा सांसद रह चुके है..वर्तमान में अहमद पटेल गुजरात से राज्य सभा सांसद थे..अब सवाल यह उठता है कि क्या अब कांग्रेस के पास कोई अहमद पटेल जैसा मंझा हुआ और बड़ा नेता है..जो कांग्रेस को बदल सके या वह अहमद पटेल जैसा चाणक्य कहलवा सके..क्या कांग्रेस के पास कोई और चाणक्य है जिसके बलबूते कांग्रेस एक बार फिर खाड़ी हो सके..या कोई ऐसा दूसरा अहमद पटेल है जो कांग्रेस में बदलाव ला सके..कई विशेषज्ञओ का कहना है कि अहमद पटेल के रूप में कांग्रेस ने अपनी एक मज़बूत दिवार को खो दिया है जिसकी भरपाई शायद ही हो पाए..

कांग्रेस पार्टी के बड़े रणनीतिक अहमद पटेल बुधवार को इस दुनिया को अलविदा कर हमेशा के लिए चले गए. राजनीति के ‘चाणक्य’ और ‘अहमद भाई’ समेत कई नामों से जाने जाने वाले अहमद पटेल के जाने से कांग्रेस पार्टी को जो नुकसान हुआ है उसकी शायद ही कभी भरपाई हो पाएगी, क्योंकि राजनीति में उनका स्थान कोई नहीं ले सकता है.

अहमद पटेल के जाने के बाद जहां राजनीतिक जगत में शोक की लहर छा गई तो वहीं उनके साथ करीब से पार्टी संगठन में काम करने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने ट्वीट कर अपनी उदासी जाहिर की.
” “17 सितंबर की वो आखिरी मुलाकात जिसमें हमने सभी पुरानी यादें ताजा की, कांग्रेस के प्रति समर्पण और कर्तव्य निष्ठा को कितनी ही बार चाय के प्यालों के साथ हमने साथ जिया। आपकी पसंद के दही बड़े अब मेरे घर आकर कौन खाएगा! अहमद जल्दी चले गए आप, दुखी कर गए आप।” “-मोतीलाल वोरा ने ट्वीट करते हुए कहा

मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल में समानता ये थी कि वे दोनों ही गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं. अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार के बाद नंबर 2 की हैसियत वाले माने जाते थे. तो वहीं मोतीलाल वोरा ने करीब 2 दशक तक कोषाध्यक्ष का पद संभाला जो पार्टी के इतिहास में सबसे लंबा कार्यकाल है. मोतीलाल वोरा को भी गांधी परिवार का वफादार माना जाता है और वे इस परिवार के खास रहे हैं. हालांकि, साल 2018 में बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने मोतीलाल वोरा से कोषाध्याक्ष की जिम्मेदारी लेते हुए अहमद पटेल को दी थी.


एक दिन ही, पहले मोतीलाल वोरा ने अहमद पटेल के निधन को अत्यंत दुखद करार देते  हुए खुद को नि:शब्द बताया था. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था- “कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद श्री अहमद पटेल जी के निधन की ख़बर अत्यंत दुःखद है. यह क्षति देश के लिए, पुरे कांग्रेस परिवार व निजी रूप से मेरे लिए अपूरणीय क्षति हैं. निःशब्द हूँ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व उनके परिवार को सहनशीलता प्रदान करे …”

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस कमज़ोर बड़ी थी..हालाकि कई राज्यों के विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने काफी अच्छा प्रदर्शन भी किया.. अहमद पटेल पूरा नाम मोहम्मदभाई अहमद भाई पटेल था लेकिन उनका प्रचलित नाम अहमद पटेल हो गया.. वर्तमान में राज्य सभा सांसद के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वह कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार थे..इसके साथ ही अहमद पटेल गुजरात में कांग्रेस का मुख्य चेहरा भी थे .. अहमद भाई पटेल राजीव गाँधी के काफी करीब माने जाते थे..कहा जाता है कि अहमद पटेल राजीव गाँधी और इंद्रा गाँधी के खास भी रहे थे..

नगर पालिका के चुनाव से शुरू किया था राजनैतिक जीवन

पटेल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत नगरपालिका के चुनाव से की थी, जिसके बाद आगे पंचायत के सभापति भी बन गए। बाद में इन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया और उसके बाद राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। इन्दिरा गांधी के आपातकाल के बाद 1977 में आम चुनाव हुए थे, जिसमें इन्दिरा गांधी की हार हुई थी। इसी चुनाव में इनकी जीत हुई और पहली बार पहली बार लोकसभा में आए थे। ये तीन बार लोकसभा सभा सांसद(1977, 1980,1984)और पांच बार राज्यसभा सांसद(1993,1999, 2005, 2011, 2017 वर्तमान) रहे हैं।

अहमद पटेल के जाने से कांग्रेस को हुआ भरी नुकसान

अहमद पटेल ने न केवल कांग्रेस और उसके सहयोगियों बल्कि पार्टी और मनमोहन सिंह की सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य किया. कॉर्पोरेट के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं तक पहुंचने की उनकी क्षमता ने पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी को भी अभिभूत किया. ये वाकया कांग्रेस पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल के बारे में बहुत कुछ कहती है, जिन्होंने इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी, फिर सोनिया गांधी का राजनीतिक जीवन में बखूबी साथ निभाया. ये अहमद पटेल ही थे, जिनकी बदौलत सोनिया गांधी राजनीति में स्थापित हो पाईं और मजबूती से आज भी खड़ी हैं. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. बुधवार को 71 साल की उम्र में अहमद पटेल ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके साथ ही वो कांग्रेस में एक गहरा शून्य छोड़ गए.अहमद पटेल ही कांग्रेस के एकमात्र चाणक्य थे..अहमद पटेल के बलबूते ही कांग्रेस ने बीजेपी से बाज़ी अपने नाम की थी.. जब यूपीए सरकार 2004-2014 तक सत्ता में थी, तब पटेल सोनिया गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी थे. उन्होंने पार्टी के नेताओं की शिकायतों को सुना और निपटारा भी किया. अहमद पटेल सोनिया गाँधी दाये हाथ कहलाते थे

पर्दे के पीछे रह कर करते थे कांग्रेस के संकट का निवारण..


इसलिए कोरोना संक्रमित होने और एक महीने तक अस्पताल में इलाज कराते हुए अहमद पटेल का जाना सोनिया गांधी के लिए एक व्यक्तिगत क्षति है. कांग्रेस के लिए तो ये एक बड़ा झटका है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के 10 साल के शासन के दौरान वह पर्दे के पीछे रह कर कांग्रेस के संकट का निवारण करते रहे. वह कभी भी मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं थे, फिर भी उन्हें किसी भी कैबिनेट मंत्री की तुलना में अधिक शक्ति मिली हुई थी.

अहमद पटेल ने न केवल कांग्रेस और उसके सहयोगियों बल्कि पार्टी और मनमोहन सिंह की सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य किया. कॉर्पोरेट के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं तक पहुंचने की उनकी क्षमता ने पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी को भी अभिभूत किया.

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