उत्तरकाशी में महापंचायत की सशर्त परमीशन, मस्जिद के आसपास धारा 163..

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देवभूमि विचार मंच द्वारा उत्तरकाशी में महापंचायत आयोजित करने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगने का मामला अब हल हो गया है। इस मुद्दे को लेकर मामला हाईकोर्ट तक पहुंचने के बाद, जिला प्रशासन ने 1 दिसंबर को महापंचायत आयोजित करने की अनुमति दे दी है, लेकिन कुछ कड़ी शर्तों के साथ।

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा व्यवस्था को अत्यंत सख्त और प्रभावी बनाना अनिवार्य होगा। आयोजकों को चेतावनी दी गई है कि अगर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या सुरक्षा से संबंधित कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह महापंचायत अब प्रशासन की निगरानी में आयोजित होगी, और आयोजकों को आयोजन के दौरान हर पहलू पर प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

आगामी 01 दिसंबर 2024 को जनपद मुख्यालय रामलीला मैदान उत्तरकाशी में देव भूमि विचार मंच द्वारा प्रस्तावित महापंचायत को देखते हुए शान्ति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उप जिला मजिस्ट्रेट भटवाड़ी मुकेश चन्द रमोला के द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-163 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिनांक 30 नवंबर 2024 की प्रातः 07.00 बजे से अग्रिम आदेशों तक मौजा बाड़ाहाट में विवादित स्थल/विवादित ढांचा,/मस्जिद मौहल्ला के 50 मीटर परिधि के क्षेत्रान्तर्गत विभिन्न शर्तों एवं प्रतिबन्धों के तहत निषेधाज्ञा लागू करने के आदेश जारी किया गया है।

उक्त आदेशानुसार निषेधाज्ञा क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति लाठी, डण्डा, चाकू, भाला आदि किसी भी प्रकार का धारदार हथियार अथवा आग्नेय शस्त्र लेकर प्रवेश नहीं कर सकेगा । शान्ति व्यवस्था हेतु तैनात सुरक्षाकर्मी, राजकीय ड्यूटी में लगे शिथिलांग/विकलांग कर्मचारी जिन्हें चलने हेतु डण्डे की आवश्यकता होती है, इस प्रतिबन्ध से मुक्त रहेगें ।

निषेधाज्ञा क्षेत्र में 05 या 05 से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर पूर्णतः प्रतिबन्ध होगा। निषेधाज्ञा सीमान्तर्गत जनसभा, जुलुस, रैली तथा सार्वजनिक बैठक करने पर प्रतिबन्ध होगा।निषेधाज्ञा क्षेत्र में किसी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यन्त्रों आदि के प्रयोग पर पूर्णतः प्रतिबन्ध होगा।

निषेधाज्ञा क्षेत्र में किसी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यन्त्रों आदि के प्रयोग पर पूर्णतः प्रतिबन्ध होगा। निषेधाज्ञा क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी के प्रति अपमानजनक भाषा या गाली गलौच या भड़काने वाले शब्दों का प्रयोग नही करेगा और न ही ऐसे नारे लगायेगा, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचे या शान्ति भंग होने की सम्भावना हो ।


निषेधाज्ञा क्षेत्र में ज्वलशील पदार्थ, हथियार तथा ऐसी कोई सामग्री परिवहन, रखने पर प्रतिबन्ध होगा, जिससे मानव जीवन अथवा सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुँचायी जाती है । निषेधाज्ञा क्षेत्र में 05 से अधिक व्यक्ति एकत्रित नहीं होगें और न कोई सभा अथवा सार्वजनिक बैठक और न ही नारे आदि लगा सकेगें ।

कोई भी व्यक्ति उक्त वर्णित सीमान्तर्गत ऐसी कोई सामग्री अपने पास लेकर प्रवेश नहीं कर सकेगा अथवा ऐसी कोई गतिविधि नही करेगा, जिससे शान्ति एवं कानून व्यवस्था पर किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो। उक्त आदेशानुसार सोशल मीडिया एवं इलैक्ट्रानिक के माध्यम से किसी भी प्रकार की अफवाहें, भ्रामक सूचनाएं,प्रचार-प्रसार एवं व्यक्ति विशेष समुदायों के बीच साम्प्रदायिक, पारस्परिक द्वेष भावना अथवा लोक प्रशान्ति फैलाने के प्रयास निषेध किये गए हैं।

सांस्कृतिक, राजनैतिक इत्यादि अन्य किसी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने पर भी पांबंदी लगाई गई है। निषेधाज्ञा दिनांक 30 नवंबर 2024 की प्रातः 07.00 बजे से अग्रिम आदेशों तक लागू होगी । निषेधाज्ञा का उल्लंघन धारा-223 बी०एन०एस०एस० के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध होगा ।

क्यों है विवाद…

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बाड़ाहाट क्षेत्र में स्थित लगभग 55 साल पुरानी मस्जिद को लेकर अब गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है। यह मस्जिद 1969 में बनी थी, लेकिन हाल के दिनों में इसे अवैध घोषित करने की मांग उठाई गई है। मामला तब गरमाया जब एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने इस मस्जिद को अवैध बताते हुए प्रशासन के खिलाफ जनाक्रोश रैली का आयोजन किया। रैली के दौरान तनाव उत्पन्न हुआ, और पुलिस ने आठ नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

मस्जिद के निर्माण के लिए 4 नाली और 15 मुठ्ठी भूमि का सौदा 1969 में एक समुदाय के व्यक्ति ने दूसरे समुदाय के सात लोगों को बेचा था। हालांकि, 2005 में इस भूमि का दाखिल-खारिज होने के बाद अचानक से विवाद होने लगा । इस विवाद ने तब और तूल पकड़ी जब सितंबर 2023 में एक धार्मिक संगठन ने आरटीआई के तहत मस्जिद के निर्माण को लेकर जानकारी मांगी और इसे अवैध करार देने की मांग की। इसके बाद से विवाद बढ़ता चला गया।

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