सीएम ने CBI को सौंपी LUCC चिटफंड घोटाले की जांच..


उत्तराखंड के अब तक के सबसे बड़े चिटफंड घोटालों में शुमार LUCC (लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी) घोटाले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बहुचर्चित और बहुप्रभावित घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की अनुमोदना दे दी है, जिससे हजारों निवेशकों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
अब जब मामला CBI को सौंपा जा चुका है, उम्मीद की जा रही है कि इस विशाल घोटाले की परतें खुलेंगी और दोषियों को सजा मिलेगी। इसके साथ ही जिन लोगों की मेहनत की कमाई इस ठगी में फंसी है, उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है।
पाखरों टाइगर सफारी घोटाले में भी CM का बड़ा निर्णय
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पाखरों टाइगर सफारी निर्माण में कथित अनियमितताओं के लिए भी कार्रवाई की मंजूरी दी है। उन्होंने सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक अखिलेश तिवारी के खिलाफ CBI की जांच रिपोर्ट में वर्णित बिंदुओं के आधार पर अभियोजन चलाने की अनुमति प्रदान की है। साथ ही किशन चन्द, तत्कालीन उप वन संरक्षक के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 (संशोधित 2018) के अंतर्गत अभियोजन की अनुमति दी गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य कर रही है। “जनता के पैसों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई होगी और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा,” उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा।
क्या है LUCC चिटफंड घोटाला
LUCC नामक सहकारी समिति ने उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में अपनी 35 शाखाओं के माध्यम से लाखों लोगों से निवेश के नाम पर बड़ी रकम इकट्ठा की। इस घोटाले का केंद्र उत्तराखंड रहा, जहां लगभग 92 करोड़ रुपये की ठगी की गई। कुल घोटाले की रकम 189 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका जताई गई है।
सहकारी समिति ने निवेशकों को कम समय में अधिक मुनाफे का लालच दिया। उन्हें बताया गया कि उनका पैसा विदेशों में सोने, तेल, रिफाइनरी और अन्य क्षेत्रों में लगाया जाएगा, जिससे भारी लाभ होगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, लोगों को उनका निवेश नहीं लौटाया गया, और बड़ी संख्या में परिपक्व राशि के बाद भी भुगतान नहीं हुआ।
देहरादून, पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में 13 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। वहीं अन्य राज्यों में भी इसी संस्था के खिलाफ मामले सामने आए हैं। पुलिस ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसके आधार पर अब मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया गया है।


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