उत्तराखंड : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को मंजूरी मिल गई है. आगामी विधानसभा सत्र में बिल को पेश किया जाएगा।
यूसीसी ड्राफ्ट में बहु विवाह रोकने, लिव इन की घोषणा, बेटियों को उत्तराधिकार में बराबरी का अधिकार देने, विवाह का रजिस्ट्रेशन करने, एक पति-एक पत्नी का नियम समान रूप से लागू करने जैसे तमाम प्रावधान हैं। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, डॉ.धन सिंह रावत, गणेश जोशी, रेखा आर्या के अलावा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन भी मौजूद थे।
उत्तराखंड में धामी कैबिनेट की 24 घंटे के भीतर दूसरी बैठक आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पर सम्पन्न हुई।। इस बैठक में सरकार के बहुप्रतीक्षित यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। इससे पहले समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में लाने की चर्चा थी।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का काउंटडाउन शुरू हो गया। उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज यूसीसी बिल पर चर्चा को लेकर 24 घंटे में दूसरी बार कैबिनेट बैठक बुलाई। इस बैठक में धामी कैबिनेट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है। धामी सरकार ने उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को मंजूरी दे दी है। अब कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को सदन के पटल पर रखेगी। 6 फरवरी को यूसीसी विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। 7 फरवरी को विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर चर्चा की जाएगी। जिसके बाद इसे धामी सरकार सदन से पारित करवाएगी।
बता दें उत्तराखंड की धामी सरकार पिछले कई दिनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की तैयारी में है। 2 फरवरी को यूसीसी कमेटी ने धामी सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा। जिसके बाद धामी सरकार ने यूसीसी का विधिक परीक्षण करवाया। इसके साथ ही सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी की है।
बीते रोज हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। जिसके बाद सीएम धामी से इस बारे में सवाल किया गया। तब सीएम धामी ने इसके जवाब में कहा सरकार इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा राज्य सरकार विस्तृत रूप से ड्राफ्ट का विधिक परीक्षण करवा रही है, ताकि मंत्रिमंडल से मंजूरी दिए जाने से पहले राज्य सरकार ड्राफ्ट को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट हो सके।
जानिये क्या है – समान नागरिक संहिता कानून
यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) या समान नागरिक संहिता (UCC) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है। आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा।
यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे।
यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस के केंद्र बना हुआ है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए प्राथमिकता का एजेंडा रहा है। भाजपा 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है। 2024 चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।
उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वोपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।
UCC ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान
लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
मेंटेनेंस: अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
एडॉप्शन: सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।
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