उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य, नेटवर्क आदि समस्याएं मासूमों की जान ले रही है। बगेश्वकर जिले के पहाड़ी गांव में नैटवर्क की कमी से 108एम्ब्युलेंस नहीं आ सकी और छोटी सी लाल चींटी के काटे एक 3 वर्षीय बालक की अस्पताल पहुँचते पहुँचते मौत हो गई।
बागेश्वर जिले के कपकोट ब्लॉक् स्थित पौंसारी गांव में ततैये(लाल चींटी)के हमले से एक 3 वर्षीय मासूम बच्चे की मौत हो गई। घटना के बाद से मृतक के घर में कोहराम मचा हुआ है।
मामले में बागेश्वर जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार ज़िले के कपकोट ब्लॉक के पौंसारी गांव में दो बच्चे हमेशा की तरह खेल रहे थे। तभी अचानक ततैयों ने दोनों सगे भाइयों पर हमला कर दिया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। बच्चों के परिजन उन्हें आनन फ़ानन में जिला अस्पताल लेकर आए जहां इलाज के दौरान तीन वर्षीय सागर की शरीर मे जहर फैलने से मौत हो गई। जबकि बड़े भाई प्रियांशु को जिला अस्पताल में इलाज के बाद छुटटी दे दी गई। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में फोन नेटवर्क नहीं होने के कारण वे 108एम्ब्युलेंस सेवा या दूसरे वाहनों से संपर्क नहीं कर सके। बच्चों को बागेश्वर के अस्पताल ले जाने में बहुत देर हो गई और छोटे बेटे के शरीर मे जहर फैलने से उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
परिजन महेश राम ने कहा कि गांव में नेटवर्क होता तो समय से बच्चे को अस्पताल पहुंचाया दिया जाता और अनहोनी ताल जाती। इस घटना के बाद से गांव में दुख और भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने प्रभावित परिवार को मुआवजा प्रदान किए जाने की मांग की है।
चिकित्सक डॉ.राहुल मिश्रा का कहना है कि यदि बच्चे को समय से अस्पताल लाया जाता तो बच्चे की जान बच सकती थी।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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